जीवन में ‘प्रेम’ को किसी ‘प्रमाण पत्र’ की दरकार नहीं
दयाशंकर मिश्र पगडंडियों से तो बहुत से रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन सीमेंट की रोड से यह सुविधा नहीं होती.
दयाशंकर मिश्र पगडंडियों से तो बहुत से रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन सीमेंट की रोड से यह सुविधा नहीं होती.
दयाशंकर मिश्र हम सब इसी गलतफहमी में उम्र गुजार देते हैं कि मेरे बिना तुम्हारे सुख का सूरज कैसे उगेगा!
दयाशंकर मिश्र दूसरों से भागना-बचना फिर भी सरल है, लेकिन जब हम अपनी दृष्टि से भागना शुरू कर देते हैं,
दयाशंकर मिश्र जो पीछे छूट गए हैं, जरूरी नहीं उनमें कोई कमी है. जीवन बहुत-सी चीज़ों का मिश्रण है, इसलिए,
दयाशंकर मिश्र बहुत सी चीजें हैं, जिनका ‘हां और न’ में कोई जवाब नहीं. जहां जीवन का प्रश्न है, वहां
दयाशंकर मिश्र हम भूल रहे हैं कि जब भी कल आएगा, वह आज हो जाएगा! हमारी सोच कल की है.
दयाशंकर मिश्र कभी राह चलते अपनी ही गलती से हम गिर पड़ते हैं. कभी खुद से गाड़ी को टक्कर लगा
दयाशंकर मिश्र मन में क्षमा कभी गहरे नहीं उतरती, क्योंकि हम छोटे-बड़े में उलझे हैं। मन कमजोर, शक्तिशाली के चयन
दयाशंकर मिश्र छोटे-छोटे प्रश्नों पर हम इतने अधिक चिंतित होते जा रहे हैं कि जीवन में चिंता की कड़वाहट दोगुनी
हमारे प्रेम से रिश्ते इतने जर्जर हो गए हैं कि थोड़ा-सा धक्का लगते ही टूट जाते हैं. बदलने के लिए