मुजफ्फरपुर के बाबा खगेश्वरनाथ महादेव की महिमा

मुजफ्फरपुर के बाबा खगेश्वरनाथ महादेव की महिमा

मणिकांत ठाकुर

मुजफ्फरपुर से लगभग 28 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व दिशा के मतलुपुर ग्राम में स्थित है बाबा खगेश्वरनाथ महादेव।जहां भक्तों पर बाबा खगेश्वरनाथ और बाबा बटेश्वरनाथ की बड़ी ही कृपा है।माना जाता है की बाबा खगेश्वरनाथ मंदिर हजारो साल पुराना है और श्री राम चंद्र जी जब जनकपुर जा रहे थे तो उन्होंने भी इस मंदिर में पूजा अर्चना किया था.बाबा के मंदिर में यू तो हर रोज भक्तो का आना जाना लगा रहता है लेकिन महाशिवरात्रि और सावन महीने में पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। बाबा के मंदिर में प्रत्येक रविवार को स्थानीय कलाकारों द्वारा संगीतमया रामायण का पाठ किया जाता है। हर रोज शाम 7 बजे बाबा का श्रृंगार आरती मंदिर के पुजारी द्वारा किया जाता है जो की बड़ा ही मनमोहक होता है.

सावन माह के प्रत्येक सोमवार को कांवरिया 110किलोमीटर पैदल चल कर जलाभिषेक करने आते है.महाशिवरात्र के समय तो श्रद्धालुओ की इतनी भीड़ उमरती है कि श्रद्धालुओ को नियंत्रित करनेमें स्वंय सेवको को छक्के छुट जाते है. गीता प्रेस से प्रकाशित कल्याण केविशेषांक तीर्थांक एवं शिवांक में भी इस प्राचीन मंदिर के महत्ता की चर्चा की गई है.क्षेत्र के बुजुर्गो की माने तो भगवान शिव का यह मंदिर स्वस्फुटित है.इसे गरूड़ और कागभुसुंडी संवाद स्थल भी माना गया है.कहा जाता है कि गरूड़ के मन में उत्पन्न संसय कि श्रीराम भगवान विष्णु के हीअवतार है का समाधान इसी स्थल पर कागभुसुंडी से श्रीरामकथा सुनने के बाददुर हुआ था.

मुगलकाल में इस मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया था.जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी मंदिर प्रांगन में मौजुद है.बाबा भोलेनाथ के मंदिर के बगल में स्थापित गरूड़ जी के कटा हुआ नाक प्रमाणितकरता है कि मुगलो ने इस मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था.न्यास समिति के सचिव बैद्यनाथ पाठक बताते है कि एक बार तत्कालीन पूर्व केंद्रीय मंत्री ललितेश्वर प्रसाद शाही के प्रयास से मंदिर प्रांगण में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई की शुरुआत कराई गई थी। पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान प्राचीन पत्थर का अवशेष मिले थे।जिसे श्रद्धालु भगवान द्वारा दिया गया उपहार मान उसे भी पूजते है.धार्मिक न्यास बोर्ड ने इस मंदिर के संचालन के लिए वर्ष 2008में इसेपंजीकृत कर लिया था.मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष डा0 गोपालजी त्रिवेदीबताते है कि सभी धार्मिक अवसरो पर यहां मेला लगता है.बिहार पर्यटनमंत्रालय के बेवसाइट पर भी मंदिर के बारे में जानकारी उपलब्ध है.