शहरों की भूल-भुलैया और गांवों का बिगड़ता ताना-बाना
शिरीश खरे शहर का नाम आते ही हमारे सामने गांव की जो भी छवि बने लेकिन इतना तय है कि
शिरीश खरे शहर का नाम आते ही हमारे सामने गांव की जो भी छवि बने लेकिन इतना तय है कि
ब्रह्मानंद ठाकुर घोंचू भाई आज खूब प्रसन्न मुद्रा में थे। मनकचोटन भाई के दलान में तिनटंगा चउकी पर ज्योंही
ब्रह्मानंद ठाकुर इस दुनिया मे चिरंतन ,शाश्वत और अपरिवर्तनशील कुछ भी नहीं है। वस्तुजगत का कण – कण परिवर्तनशील है।
विनोद कापड़ी पीहू के माता-पिता रोहित विश्वकर्मा और प्रेरणा शर्मा की सहमति मिलने के बाद मैंने तय किया कि अब
विनोद कापड़ी कहानी और पीहू दोनों मिल चुकी थी। प्रोड्यूसर मिलना बाक़ी था। एक और बेहद मुश्किल काम। मुंबई में
ब्रह्मानंद ठाकुर आज घोंचू भाई जब मनकचोटन भाई के दालान पर पहुंचे तो मनसुखबा दिवाली मनाने के लिए जरूरी सामान
विनोद कापड़ी फ़िल्म रिलीज़ होने में अब कुछ दिन बाक़ी हैं।अब पीहू फ़िल्म से जुड़ी कुछ कहानियाँ। सबसे पहले कैसे
राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार मैं आरएसएस को एक अतार्किक गैर-जिम्मेदार, षडयंत्रकारी और विभाजनकारी विचारधारा मानता हूं। यह
आलोक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार ‘इंडिया टुडे’ के पूर्व पत्रकार पीयूष बबेले ने जवाहरलाल नेहरू पर शानदार किताब
टीम बदलाव बिहार के औरंगाबाद में गरीब और जरूरत मंदों के लिए शिक्षा की अलख जगा रहे ढाई आखर फाउंडेशन