समाज को अज्ञानता और असहिष्णुता के आनंदलोक की ओर ढकेलता हमारा मीडिया
उर्मिलेश जी के फेसबुक वॉल से साभार अपने देश के उत्तर और मध्य क्षेत्र में पत्रकारिता, खासतौर पर न्यूज चैनलों
उर्मिलेश जी के फेसबुक वॉल से साभार अपने देश के उत्तर और मध्य क्षेत्र में पत्रकारिता, खासतौर पर न्यूज चैनलों
राकेश कायस्थ मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल को याद कीजिये। गवर्नेंस का एक नया मॉडल देश में आया था। शासन
पुष्य मित्र आजकल कभी कभी मन होता है कि हर मुद्दे पर क्यों बोला जाये। अपनी राय जाहिर करते रहना
राकेश कायस्थ/ पिछले पांच साल में इस देश में प्रति मिनट जितने शौचालय बने हैं, उन्हें अगर जोड़ा जाये तो
अरुण प्रकाश/ रवीश कुमार भारतीय मीडिया जगत का एक ऐसा नाम है जिसका आप भले ही विरोध करते हों, लेकिन
शिरीष खरे इन दिनों में रिसर्च के कामम से गोवा भ्रमण पर हूं और खासकर ग्रामीण परिवेश और स्कूलो के
पुष्यमित्र इन दोनों किताबों को एक साथ पढ़ना चाहिये और मुमकिन हो तो पहले कुली लाइन्स को पढ़ना चाहिये फिर
पशुपति शर्मा आप सपने देखें तो वो सच भी होते हैं। इसी विश्वास के साथ दिल्ली में लोक कलाओं के
आनंद बक्षी साहब इस देश को गजब समझते थे तभी लिखा था ‘कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है
शिरीष खरे आमतौर पर घर, खेत, खलिहान और दुकानों पर काम करने वाली महिलाओं के काम को काम नहीं माना