दावे, हकीकत और सुभाष चंद्र बोस
रत्ना वर्मा18 अगस्त वो तारीख है, जिसे लेकर ना जाने कितने ही सवाल पिछले सात दशकों में उठे हैं. ये
रत्ना वर्मा18 अगस्त वो तारीख है, जिसे लेकर ना जाने कितने ही सवाल पिछले सात दशकों में उठे हैं. ये
प्रिय दर्शन हिंदी पत्रकारिता में पिछले कुछ वर्षों में छिछलापन लगातार बढ़ा है। अब न वैसे बौद्धिक संपादक बचे हैं
वीरेन नंदा किसानों का हाल जानने के लिए मैं बिहार से दिल्ली तो आ गया, लेकिन दिल्ली की गलियों से
पुष्य मित्र जब से मैने पूर्णिया के मीडिया कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप शामिल होने के लिये सोपान भाई से
राकेश मालवीय स्मृतियां जब दस्तक देती हैं तो आपको हंसाती हैं, रुलाती हैं, गुदगुदाती हैं, कुछ जोड़ती हैं, कुछ घटाती
पशुपति शर्मा चन्द्रभान सिंह सोलंकी। मीडिया के उन कुछ चुनिंदा लोगों में हैं, जिनसे मैं हमेशा कुछ सीखता रहा हूँ।
पशुपति शर्माबंसी दा ने अपने गुरु नेमिचंद्र जैन की स्मृति में एक नाटक का ताना-बाना बुना- ‘साक्षात्कार अधूरा है’। नाटक
‘निर्देशक नाटक में रहते हुए भी मंच पर अनुपस्थित रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।आज बंसी कौल भले ही शारीरिक
अगर आप मल्टी लेयर फार्मिंग करना चाहते हैं तो आपके लिए आकाश का दरवाजा खुला है । मध्य प्रदेश के
पुष्य मित्रअभाव का प्रेम भूखा होता है और स्वार्थी भी। वह सिर्फ प्रेम चाहता है, किसी भी कीमत पर। वह