…तो आप अपने बच्‍चों के केंद्र में कभी नहीं रह पाएंगे।

दयाशंकर मिश्रा के फेसबुक वॉल से साभार/ मेरे पास परिवार के लिए समय नहीं बचता। सुबह, बच्‍चे जब स्‍कूल जाते

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पत्रकारिता और साहित्य का अद्भुत संगम है ‘बेख़ुदी में खोया शहर’

टीम बदलाव/ ‘गोदी मीडिया’ के दौर में पत्रकारिता पर उंगली उठाने का काम खुद पत्रकार या फिर लेखक ही कर

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संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा की ओर बढ़ते कदम

शिरीष खरे/ हर कक्षा में ‘मूल्यवर्धन’ की गतिविधियों को संचालित करने के लिए दो प्रकार की गतिविधि पुस्तिकाएं होती हैं।

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कश्मीर पर सवालों से ‘मुठभेड़’ और एक नजरिया

ब्रह्मानंद ठाकुर ‘सिसकियां लेता स्वर्ग ‘ पुस्तक के कश्मीरी मूल के हिन्दी लेखक डॉक्टर निदा नवाज  बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री

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