शोर न मचाना… सांसदजी सोच रहे हैं!
लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे भाषण के गिने चुने दिन बाकी हैं। करीब एक साल
लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे भाषण के गिने चुने दिन बाकी हैं। करीब एक साल
बिहार के सारण ज़िले का शेरपुर गांव। आज़ादी के सात दशक बाद भी अलसुबह की कुछ तस्वीरें नहीं बदल
संस्कृति समाज का निर्माण करती है और कलाएं संस्कृति व समाज का संरक्षण। इसे ताक पर रख कर कोई भी
दो पल को इस तस्वीर पर आपकी निगाहें टिकी रह जाएं, तो फिर इस रिपोर्ट के मायने खुद-ब-खुद खुलते चले
इन दिनों अमरुद के पेड़ झुक गए हैं। हमारे यहाँ इसे लताम भी कहते हैं। खूब फल आये हैं। बच्चों
हम अक्सर गांव की समस्याओं के लिए शासन, पंचायत या फिर सरपंच को दोषी ठहराते रहते हैं। कभी कहते हैं
गरीबों और शोषित वर्गों के लोगों का बुढ़ापा सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने 2014-15 के बजट में बीमा
तब ये ट्रेन कहां थी गांव जाने के लिए। रामेश्वर घाट पर मिनी बसें छोड़ जातीं और फिर वहां
पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 400 स्टेशनों के कायाकल्प की योजना को हरी झंडी दे दी
टीम बदलाव ईमानदारी जिसकी आत्मा है और सच्चाई जिसकी ताकत । हम बात कर रहे हैं देश के नौनिहाल IAS