सत्राची सम्मान से सम्मानित किए गये समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा

सत्राची सम्मान से सम्मानित किए गये समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा

बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर

जाने-माने समाजवादी चिंतक व लेखक सच्चिदानन्द सिंन्हा को आज सत्राची फाउंडेशन द्वारा सत्राची सम्मान से सम्मानित किया गया। मिठनपुरा स्थित होटल मयूर में आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता पटना कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर तरुण कुमार एवं संचालन सत्राची पत्रिका के प्रधान सम्पादक कमलेश वर्मा ने की।समारोह के मुख्य अतिथि राज्यसभा के पूर्व सांसद शिवानन्द तिवारी एवं मुख्य वक्ता पत्रकार एवं रंगकर्मी अनीश अंकुर रहे। सच्चिदा बाबू को सम्मान स्वरूप स्मृतिचिह्न , प्रशस्ति-पत्र ,अंगवस्त्र एवं 51 हजार रुपये का चेक भेंट किया गया। श्री सिन्हा ने यह कहते हुए सम्मान राशि सत्राची फाउंडेशन को सौंप दिया कि उन्हें इस राशि की जरूरत नहीं है। सत्राची फाउंडेशन इस राशि को गरीब किंतु मेधावी छात्राओं की शिक्षा पर खर्च करे तो बेहतर होगा।। सम्मान समारोह में अपनी भावना व्यक्त करते हुए सच्चिदा बाबू ने कहा कि वे नितांत सामान्य आदमी हैं। उन्होंने अबतक ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया है जिसके लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है। उन्होंने सम्मान राशि सत्राची फाउंडेशन को सौंपते हुए कहा कि मुझे सम्मान स्वरूप जो स्मृति चिह्न दिया गया है उसके एक तरफ पढ़ती हुई लड़की की छवि अंकित है‌।अत इस राशि का उपयोग गरीब और मेधावी लड़कियों की पढ़ाई में किया जाए। कार्यक्रम की शुरूआत गीतकार डाक्टर कुमार विरल द्वारा सच्चिदा बाबू लिखित आंदोलन गीत ‘ बिकाता बिकाता बिकाय लागल बा ,अब कर्जा में देशवा बिकाय लागल बा की प्रस्तुति से की गई । समारोह स्थल पर सच्चिदा बाबू की आंदोलन गीत पर केन्द्रित चित्रकार विमल विश्वास द्वारा निर्मित कविता पोस्टर और सच्चिदानन्द सिन्हा की पुस्तकों की प्रदर्शनी आकर्अषण का केन्केद्र रहीं। समारोह में रूप मे पूर्व राज्यसभा सांसद शिवानन्द तिवारी ने कहा कि पूंजीवाद आज उपभोक्तावाद को बड़ी तेजी से बढ़ावा दे रही है।अत्यधिक उपभोग की आपाधापी में इंसानियत ख़त्म ज्ञो रहा है।उन्होंने कहा कि सच्चिदा बाबू से उनका परिचय उनकी पुस्तक , उपभोक्तावादी संस्कृति का संजाल के माध्यम से हुआ। मुख्यवक्ता अनीश अंकुर ने सच्चिदा बाबू की पुस्तकों एवं उनसे लिए गये साक्षात्कार के आधार पर कहा कि सच्चिदा बाबू निर्वाध औद्योगीकरण के पक्ष में कभी नहीं रहे।वे प्रकृति के साथ मधुर सामंजस्य बैठा कर जीवन जीने के पक्ष में हैं।उनकी तमाम पुस्तकों को आज के युवा पीढ़ी को पढ़ कर उससे प्रेरणा लेने की जरूरत है।डाक्टर वीरेन नन्दा ने सच्चिदा बाबू की जीवन शैली,आम आदमी के प्रति उनका सदाशयता पूर्ण व्यवहार की चर्चा करते हुए कहा कि तमाम तरह की सुविधाओं के बाबजूद न्यूनतम संसाधनों से कैसे जीवन जीया जा सकता है ,यह उनको देख कर सीखा जा सकता है। सत्राची फाउंडेशन के निदेशक आनन्द बिहारी ने सच्चिदा बाबू के सम्मान में तैयार प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रोफेसर तरुण कुमार ने सच्चिदा बाबू के जीवन संघर्षों औश्र उनकी कृतियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आठ खंडों में प्रकाशित उनकी रचनावली मैं पढ़ रहा हूं।उससे बहुत कूच जानने समझने को मिला है।इसकोपढ कर ही इनके विचारों को सम्पूर्णता में समझा जा सकता है।
कमलेश वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि सत्राची फाउंडेशन सच्चिदा बाबू को सम्मानित कर आज खुद को सम्मानित महसूस कर रहा है। इस अवसर पर सच्चिदा बाबू के भाई प्रभाकर सिन्हा ,अरविंद सिन्हा ,डाक्टर हरइकइशओर प्रसाद सिंह ,शाहिद कमाल , मुक्तेश्वर सिंह मुकेश ,जगत नारायण राय ,सुरेन्द्र कुमार समेत काफी संख्या में शहर के बुद्धिजीवी और समाज सेवी उपस्थित थे।