… और मां के साथ मर गया मनुष्य
देवांशु झा बेटे ने बूढ़ी मां से कहा मां चलो, सूर्य नमस्कार करते हैं लगभग अपंग मां सहज तैयार हुई
देवांशु झा बेटे ने बूढ़ी मां से कहा मां चलो, सूर्य नमस्कार करते हैं लगभग अपंग मां सहज तैयार हुई
मिथिलेश कुमार राय सवेरे जब मैं काम पर निकल रहा था, माँ बोली कि मिठाई लेते आना। कल शुक्रवार है।
नदीम एस अख़्तर कहते हैं जो पेड़ से फल से जितना लदा होता है, वो उतना ही झुका होता है.
प्रियदर्शन साहित्य समारोह अक्सर अपनी भव्यता और भटकावों में मुझे अरुचिकर लगते रहे हैं। इन समारोहों में साहित्य और विचार
सोशल मीडिया पर पिछले दो दिनों से शुभकामनाओं का सिलसिला चल रहा है, ऐसे में एक पोस्ट पर नज़र गई।
नीलू अग्रवाल विदा, विदा, विदा…अलविदा। अब मिलेंगे नहीं कभी नहीं हमें है पता। हँसते हुए, फिर भी देते हैं विदा।
कार्टूनिस्ट भाटी के फेसबुक वॉल से हर इंसान के जीवन में एक ना एक फुंसुख वांगड़ू जैसा किरदार जरूर होता
सुमन केशरी इस साल देहरादून लिट फ़ेस्ट में भाग लेने का सुयोग हुआ। शुक्रिया गीता गैरोला…शुक्रिया समय साक्ष्य! देहरादून लिट
ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार सरकार के एक फैसले को लेकर पिछले दिनों अखबारों में ‘बुनियादी विद्यालयों को खत्म करने पर तुली
धीरेंद्र पुंडीर “ अगर हमने गांधी को विश्व की शांति के लिए एक मसीहा के रूप में जन-मन तक स्थिर