अतिवादों के दौर में पत्रकारिता और गांधीवाद
मोनिका अग्रवाल जब हम किसी से पूछे कि वर्तमान में हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता का काल कैसा है ? शायद
मोनिका अग्रवाल जब हम किसी से पूछे कि वर्तमान में हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता का काल कैसा है ? शायद
अशोक पांडे के फेसबुक वाल से दरमा घाटी के वाशिंदों का जीवन बेहद संघर्ष भरा होता है । जिस तरह
सुबोध कांत सिंह बात तक की है जब मैं चौथी कक्षा में पढ़ता था। स्कूल में गर्मी की छुट्टी पड़ी
संजीव कुमार सिंह जनसत्ता की कैच लाइन रही है सबकी खबर दे, सबकी खबर ले। टीवी में काफी समय गुजारने
एक जांबाज अफसर की संदिग्ध मौत मामले की जांच के बिना खुदकुशी करार देने की इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही
पुष्य मित्र हाल में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार और विपक्षी दलों के उम्मीदवारों की जीत से बिहार अछूता
अनिल तिवारी वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल तिवारी की ये सीरीज फेसबुक पर आ रही है और उसे देर-सवेर हम भी बदलाव
किसलय झा 29 मई 2018 की शाम। फिल्म्स डिविजन ऑडिटोरियम, महादेव रोड, नई दिल्ली में फिल्म “Life of An Outcast”
संदीप कुमार सिंह ‘उधर बदगुमानी है , इधर नातवानी है न पूछा जाय है उससे, न बोला जाय है हमसे’
चित्रा अग्रवाल मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले अच्छे से जानते हैं कि सिनेमा बस मनोरंजन नहीं बल्कि अपनी बात