क्यों विपक्ष और जनपक्ष हो जाना ही निष्पक्ष पत्रकारिता है?
पुष्यमित्रजब मैं लिखता हूं कि पत्रकार का काम शास्वत विपक्ष हो जाना है तो कई मित्र को आपत्ति होती है।
पुष्यमित्रजब मैं लिखता हूं कि पत्रकार का काम शास्वत विपक्ष हो जाना है तो कई मित्र को आपत्ति होती है।
पुष्यमित्र के फेसबुक से साभार 1961 में जब ब्रिटेन की रानी भारत आई थी और नेहरू उसके स्वागत में बिछे
राकेश कायस्थ 1. यह बहुत साफ था कि 2019 की लड़ाई अंकगणित बनाम केमेस्ट्री होगी। मतलब यह कि जितने भी
उर्मिलेश उसने अपनी विचारधारा के अनुसार अपने ‘मन की बात’ ही तो कहीं है! उसके अनेक सियासी पूर्वज भी यही
ब्रह्मानंद ठाकुर कभी-कभी सपने भी अजीब होते हैं। अजीब इसलिए कि ऐसे सपनों के कोई हाथ-पैर नहीं होते और यथार्थ
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार। दीपक चौरसिया। पत्रकारिता का एक बड़ा नाम। मैं और मेरे हम-उम्र साथी जिस
सुधांशु कुमार वर्षों की सुनवाई, उसके दौरान शिक्षकों के प्रति जजों की पूरी सहानुभूति, शिक्षकों के खून-पसीने की कमाई के
पुष्यमित्र राजीव गांधी कोई राजनीति के सन्त नहीं थे। आजकल जो उन्हें सन्त बनाने पर तुले हैं, वे या तो
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से पत्रकारिता के छात्रों और नये-पुराने तमाम पत्रकारों को NDTV पर प्रणय रॉय का
सत्येंद्र कुमार यादव लोकसभा चुनाव में गांव के स्थानीय मुद्दे नदारद हैं । कोई राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव लड़