‘दाल क्रांति’ से ही मिलेगी ग़रीबों को दाल-रोटी
जितेंद्र कुमार शर्मा आज गरीबों की थाली से दाल गायब होती जा रही है। हरित क्रांति में गेंहू और धान
जितेंद्र कुमार शर्मा आज गरीबों की थाली से दाल गायब होती जा रही है। हरित क्रांति में गेंहू और धान
अवधेश कुमार सिंह 28 अगस्त 2016, रविवार को गाजियाबाद के वैशाली के सेक्टर-4 के सेंट्रल पार्क में एक और साहित्यिक
बरुण के सखाजी अगर आपके पास 2 या 3 दिन हैं तो आपके लिए चित्रकूट एक अच्छी लोकेशन हो सकती
विनोद कापड़ी एक बिस्तर पर चार-चार मरीज़। ICU के गलियारे में सॉंसो की आख़िरी आस। अस्पताल के ठीक अंदर मरीज़
पेरुमल मोरुगन की अंग्रेजी में पढ़ी एक कविता का हिन्दी अनुवाद देविंदर कौर उप्पल ने किया है। यह कविता अपने
पुष्यमित्र बात अगस्त की एक सुबह की है। दिन के 11 बजे होंगे, मुजफ्फरपुर के मड़वन खुर्द गांव में लोगों
धीरज वशिष्ठ पूरे मानवता के इतिहास में कृष्ण अकेले ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सभी आयामों में खिले हुएं हैं। कहीं
बरुण के सखाजी हम सपरिवार सुबह-सुबह मैहर रेलवे स्टेशन पर थे। हल्की बारिश और शारदा मंदिर की पहाड़ी कोहरे के
महेश कुमार मिश्रा संत गोस्वामी तुलसीदास जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम पर राम चरित मानस महाकाव्य की रचना की । ऐसा माना
राकेश मालवीय सत्तर साल में विकास के किसी भी आयाम ने ‘डिलीवर’ नहीं किया है, इसे स्वीकारने में हमें इतनी