पाटलिपुत्र में प्लेटफॉर्म पर संवरता बचपन
दिलीप कुमार पांडे रेलवे स्टेशन पर अमूमन यात्रियों की भागदौड़, कुलियों की आवाज़ और ट्रेन के शोरगुल के सिवाय शायद ही कुछ
दिलीप कुमार पांडे रेलवे स्टेशन पर अमूमन यात्रियों की भागदौड़, कुलियों की आवाज़ और ट्रेन के शोरगुल के सिवाय शायद ही कुछ
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में बृहद स्तर पर पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन
पुष्य मित्र अगर हमें अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवित रखना है तो उसे सिर्फ दिल में सहेजने भर
मृदुला शुक्ला बचपन में दशहरे पर नए कपड़े मिलने का दुर्लभ अवसर आता था । हम सारे भाई बहन नए
कीर्ति दीक्षित विजयादशमी है, प्रत्येक वर्ष रावण के तमाम गुणों अवगुणों की बातें होती हैं, कोई उसके ज्ञान की बात
सत्येंद्र कुमार यादव 7 अक्टूबर 2016 की वो शाम, ‘एसिड वाली लड़की’ को देखा, सुना और उनके दर्द को महसूस
शंभु झा जब जिंदगी दिल्ली नहीं थी, तब की बात है । तब रामलीला देखने का बड़ा उत्साह रहता था।
सच्चिदानंद जोशी कुछ दिन पहले मांडू जाना हुआ। यात्रा के अंतिम पड़ाव में हम प्रसिद्द दिल्ली दरवाजे पर रुके, क्योंकि
सितम्बर 2013 में यूएन जनरल असेम्बली के समय पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म ने पत्रकारों के साथ नाश्ते के दौरान कहा
कीर्ति दीक्षित भूख और बीमारी सभी ऊर्जाओं को पिघला कर भस्म कर दिया करते हैं, बुंदेलखंड भूखा भी है,बीमार भी!