सोशल इंजीनियरिंग की सियासी ‘माया’
पीयूष बबेले पिछले अंक में आपने पढ़ा कि किस तरह कांशीराम के संघर्षों से बीएसपी दलित वर्ग में अपनी पैठ
पीयूष बबेले पिछले अंक में आपने पढ़ा कि किस तरह कांशीराम के संघर्षों से बीएसपी दलित वर्ग में अपनी पैठ
रामजी तिवारी भारतीय जनता पार्टी के बारे में लिखना अपेक्षाकृत कठिन होता है। कारण यह कि इस पार्टी के बारे
पीयूष बबेले 90 के दशक का वह दौर जब एक बच्चे ने दलितों की जिजीविषा को राजनैतिक आंदोलन का रूप
रेणु ओहरी हर लड़की का होता है इक सपना बसाएगी सुंदर सा संसार अपना जब आएगा इक
मोहन मंगलम कुछ साल पहले राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने गंगा दियारे का दौरा कर दियारे की
राकेश कायस्थ मांगना अच्छा है या बुरा? यह निर्भर इस बात पर है कि मांगा क्या जा रहा है। उदाहरण
आशीष सागर दीक्षित (फेसबुक वॉल से) ” तुम बतलाते रहे अपने काम के नजराने इस कदर अखिलेश, कि एक हम
18 फरवरी 1994 को मेजर नागेन्द्र प्रसाद की आतताईयों ने हत्या कर दी थी। तब मैं आईपीएफ बोकारो जिला का
देश में पिछले कुछ दिनों से आदर्श गांव गोद लेने की ख़बरें खूब सुर्खियों में रहीं, लेकिन पिछले एक बरस
शहंशाह आलम बच्चे जनने में मुटा गई है, मेरी छोटी-पतली कमर । काजल मेरे गालों पर बहता है,काले आँसुओं की