‘प्रभावती मुसहरी प्रवास स्वर्ण जयंती पदयात्रा पखवाड़ा प्रारम्भ’

‘प्रभावती मुसहरी प्रवास स्वर्ण जयंती पदयात्रा पखवाड़ा प्रारम्भ’

मुजफ्फरपुर/बदलाव प्रतिनिधि।

जेपी के अनुयायियों ने आज से जेपी के मुशहरी प्रवास के 53बर्षपूरे होने पर पदयात्रा संवाद की शुरुआत की है।यह कार्यक्रम एक पखवारे तक चलेगा। इस दौरान पदयात्री मुशहरी प्रखंड के गांव -गांव घूम कर लोगों को जेपी के संदेश से अवगत कराएंगे। आज से 53 साल पहले जयप्रकाश नारायण जब उत्तराखंड प्रवास पर थे, अंग्रेजी अखबार में मुजफ्फरपुर के दो सर्वोदयी कार्यकर्ताओं को मृत्यु का परवाना दिए जाने की खबर पा कर मुजफ्फरपुर पहुंचे थे और मुसहरी प्रखंड में ही जम जाने का निश्चय किया। तब मुसहरी में नक्सलवाद के नाम पर आतंक चरम पर था और सामाजिक विद्वेष बढ़ता जा रहा था।
मुजफ्फरपुर पहुंच कर वे कुछ सर्वोदयी कार्यकर्ताओं के साथ मुसहरी के गांवों की सामाजिक, आर्थिक, वर्ग-भेद ,जाति- भेद, सरकारी प्रयासों , नक्सलवाद के नाम पर आतंक आदि को समझने की कोशिश व एक पद्धति से सघन कार्य करने के लिए मुजफ्फरपुर में मुसहरी को चुना। उन्होंने जो देखा व प्रयास किया उसे एक पुस्तिका ‘आमने-सामने’ लिखा। “…. मुसहरी मुजफ्फरपुर जिले का एक प्रखंड है। इस प्रखंड का कुल क्षेत्रफल 43983 एकड़ है, जिसमें से 36396 एकड़ पर खेती होती है। यहां की अनुमानित जनसंख्या (ग्रामीण) 118737 है। इस प्रकार भूमि-मनुष्य का अनुपात (केवल खेती की भूमि को लेते हुए) प्रति व्यक्ति 30 डिसमिल है। अगर हम पूरे क्षेत्रफल को लें तो यह अनुपात प्रति व्यक्ति 37 डिसमिल होगा। इस प्रखंड में 17 ग्राम पंचायतें और 121 राजस्व ग्राम है। इस जिले के दूसरे प्रखंडों के मुकाबले मुसहरी में खेतिहर-मजदूरों की आबादी का प्रतिशत सापेक्षत: ऊंचा है। जहां पूरे जिले का औसत केवल 33.3 प्रतिशत है। इ
मुसहरी प्रवास के दौरान जेपी ने ग्राम स्वराज (ग्राम सभा के द्वारा) ग्राम दान, ग्राम कोष, ग्राम शांति सेना के द्वारा सामाजिक सौहार्द के प्रयास, उनके अपने व्यक्तिगत राजनैतिक और प्रशासनिक पहुंच की बदौलत 1 वर्ष में 6 कैंपों पर प्रवास कर लगभग सभी गांवों में अपनी पहुंच व लगातार संवाद स्थापित कर मुसहरी की काफी कुछ तस्वीर बदली थी । लोक शक्ति को बढ़ावा मिला। ग्रामदान का कार्य किया गया। भूमिहीनों को चिन्हित कर बड़े पैमाने पर बासगीत पर्चा दिलवाया गया। दैनिक मजदूरी का दर बढ़ा। 84 गांवों में ग्राम सभाएं बनीं जिसमें 7 ग्राम सभा को पंचायत का अधिकार मिला। 7 गांवों में 24 बीघा 11 कट्ठा जमीन बांटी गई। मुसहरी का बिजलीकरण हुआ, खेतों को पानी मिला …आदि। मुसहरी के टिकाऊ विकास, शांति सौहार्द की स्थापना, ग्राम स्वराज व लोक शक्ति को बढ़ावा के लिए उन्होंने विस्तृत ‘मुसहरी योजना’ बनाई।
आज मुशहरी फिर अपने पुराने दिनों में लौट चुका है। यहां की वर्तमान स्थिति को देखें तो भूमिहीनता, नशाखोरी, कर्जखोरी, बेकारी, भू-माफिया वर्ग का उदय व वर्चस्व, भूमि की प्रकृति में बदलाव की वजह से एक हीं साथ एक तरफ जलजमाव व दूसरी ओर सुखाड़, घाटे की खेती व मवेशी पालन, बड़े पैमाने पर पलायन, लगातार आपदा एवं राजनीतिक कारणों से जातीय – धार्मिक विद्वेष में बढ़ावा देखने को मिलता है।
इन परिस्थितियों में, जेपी के मुसहरी प्रवास के स्वर्ण जयंती के अवसर पर मुजफ्फरपुर के जेपी विचारों से प्रभावित व्यक्तियों, संगठनों व संस्थाओं के द्वारा ‘लोक शक्ति को बढ़ावा, एक नागरिक के रूप में व्यक्ति का सशक्तिकरण, ग्राम्य लोकतांत्रिक संगठनों की मजबूती, टिकाऊ विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण तथा सामाजिक सौहार्द एवं सद्भावना को बढ़ावा ‘ का लक्ष्य निर्धारित करते हुए, अधिकतम जनभागीदारी के साथ 28 सितंबर से 10 अक्टूबर तक मुसहरी में जे पी के सभी 6 पड़ावों को जोड़ते हुए, लगभग सभी गांवों में पदयात्रा करते हुए व्यापक जन-संपर्क व संवाद स्थापित किया जाएगा।