महात्मा गांधी के चम्पारण में हाशिए पर किसान
ब्रह्मानंद ठाकुर आज 23 दिसंबर है यानी किसान दिवस, जो किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर
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शिरीष खरे गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद आंकड़ों के आईने से अलग-अलग विश्लेषक अपनी-अपनी तरह से तस्वीरें दिखा रहे
अखिलेश्वर पांडेय मौजूदा समय में लिखी व प्रकाशित हो रही कहानियों का विमर्श उनकी रचनात्मकता का सबसे बड़ा पैमाना बन
धीरेंद्र पुंडीर ये जीत का जश्न फीका है, ये हार का स्वाद मीठा है। ये गुजरात की उलटबांसी है। सिर्फ
शशि शेखर (फेसबुक वॉल से साभार) ‘जो जीता वही सिकंदर’ और ‘हारे को हरिनाम’। ये दो ऐसी कहावते हैं, जिन्हें
बासु मित्र आपने अक्षय कुमार की फिल्म पैड-मैन की चर्चा खूब सुनी होगी । इन दिनों टीवी चैनल्स से लेकर
एसके यादव 6 दिसंबर 1992, आजाद हिंदुस्तान का एक दिन, जिसने ना सिर्फ देश के धर्मनिरपेक्ष भावना को बिगाड़ा बल्कि
ब्रह्मानंद ठाकुर आखिर क्या वजह है कि जब कोई मंत्री या नेता गांव-गिराव में जाता है तभी प्रशासन को वहां
पशुपति शर्मा दिसंबर के पहले हफ़्ते में आर्ट सर (श्री राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ) से आख़िरी मुलाक़ात हुई। सर के चेहरे
मृदुला शुक्ला छाँव कहाँ होती है अकेली खुद में कुछ ये तो पेड़ों पर पत्तियों का दीवारों पर छत का