मेरा गांव, मेरा देश हम प्यासे मरेंगे और वो हमारी नदियों का पानी बेचेंगे… 09/07/201610/07/2016 मैगसेसे और स्कॉटहोम वाटर जैसे पुरस्कारों से नवाजे गए जल वैज्ञानिक राजेन्द्र सिंह का कहना है कि केंद्र की मोदी और पढ़ें >
मेरा गांव, मेरा देश ‘ग़म-ए-वोट’ में कुछ यूं बदले ‘गेम-ए-कैबिनेट’ के कायदे 08/07/201608/07/2016 प्रणय यादव उम्मीदें बहुत थीं। बातें बहुत थीं। दावे बहुत थे। लेकिन हुआ क्या? जो हुआ वही तो होता आया और पढ़ें >
मेरा गांव, मेरा देश याद आवता गांव किसानों का संकटमोचक ‘रहट’ कहां गुम हो गया? 07/07/201607/07/2016 अरुण यादव रहट नाम से क्या आपके जेहन में कोई तस्वीर खिंचती है। क्या आप रहट के बारे में जानते और पढ़ें >
मेरा गांव, मेरा देश ‘क्षिप्रा’ और ‘नर्मदा’… नदियों के ‘जबरिया मिलन’ की अंतर्कथा 06/07/201606/07/2016 शिरीष खरे इंदौर जिले का उज्जैनी गांव 29 नवंबर, 2012 को एक ऐतिहासिक फैसले का गवाह बना था। ये वही और पढ़ें >
चौपाल विकास के मॉडल पर बात करनी हो तो चलिए ‘कान्हा’ 05/07/201605/07/2016 “ लोगों के बीच जाइए। उनके साथ रहिए। उनसे सीखिए। उन्हें स्नेह दीजिए। शुरू करें वहां से जो वे जानते हैं। और पढ़ें >
चौपाल माटी की खुशबू कीर्ति दीक्षित के उपन्यास ‘जनेऊ’ की पहली झलक 04/07/201604/07/2016 सत्येंद्र कुमार यादव मार्च 2009 में ईटीवी न्यूज से जुड़ा। फिर मुझे रायपुर से हैदराबाद जाना हुआ। चूंकि मैं नया-नया और पढ़ें >
मेरा गांव, मेरा देश सिमटती खेती, बढ़ती परेशानियां 03/07/2016 सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा दोआबा… यानि दो बहते दरिया के बीच का इलाक़ा। यह ‘दो’ और ‘आब’ शब्दों के जोड़ से और पढ़ें >
आईना मैडम, बदतमीजी… अगर लगी तो सॉरी 02/07/2016 राकेश कुमार मालवीय उस लड़की के जोर से चिल्लाने से मेरी नींद खुली। वह अपनी बर्थ से उठकर दौड़ती ट्रेन और पढ़ें >
आईना रायपुर में ‘मोचीराम’ की चीख और चुप्पी 01/07/201601/07/2016 टीम बदलाव “बाबूजी सच कहूं, मेरी निगाह में न कोई छोटा है न कोई बड़ा, मेरे लिए हर आदमी एक और पढ़ें >
मेरा गांव, मेरा देश सुन हो सरकार आदिवासियों की उपेक्षा कब तक ? 30/06/2016 सत्येंद्र कुमार यादव अगर हम सवाल करें कि दिल्ली में बैठे पत्रकार आदिवासियों के बारे में कितना समझते हैं तो और पढ़ें >