आज भी खरे हैं ‘अनुपम मिश्र’
पुष्यमित्र सुबह से मन अनुपम मिश्र जी की यादों में अटका है। एक पल के लिये भी खुद को मुक्त
पुष्यमित्र सुबह से मन अनुपम मिश्र जी की यादों में अटका है। एक पल के लिये भी खुद को मुक्त
रूपेश कुमार सोशल मीडिया जनक्रांति का सशक्त माध्यम है। जिस गति से समाज बदल रहा है उसमें सोशल मीडिया की भूमिका
लखनऊ की धरती एक ऐतिहासिक पल की गवाह बनी । 15 साल बाद भारत जूनियर वर्ल्ड हॉकी चैंपियन बना है
कीर्ति दीक्षित निर्भया के माता पिता चार साल बाद भी बेटी को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चक्कर
इति माधवी ‘नाला सोपारा’ एक ऐसा उपन्यास जो एक ऐसे समुदाय पर आधारित है जिसके बारे में हर कोई बात
अरुण यादव पुलिस को लेकर हमारे जेहन में हमेशा एक नकारात्मक छवि ही रही है। लेकिन जरा सोचिए वही पुलिस
अनु गुप्ता भारत एक ऐसा देश है जहां हर सौ कदम पर भाषा बदल जाती है। इस देश को अनेक और
वही लोग ओवैसी से इस वक़्त उसके सांप्रदायिक बयान को ले कर चिढ़े हुवे हैं जिन्होंने उसे चुना ही सांप्रदायिक
देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले ऐसे कई बलिदानी हैं जो आज भी गुमनामी की जंजीरों में
पुष्यमित्र पूरा महाभारत जितना दिलचस्प है, उससे अधिक दिलचस्प है अर्जुन की इन दो पत्नियों की कथा। मुझे लगता है ज्यादातर