फरकिया का आंदोलन और “रेडियो कोसी”
राजीव रंजन प्रसाद पुष्यमित्र के उपन्यास “रेडियो कोसी” पर टिप्पणी करना चाहता था, शायद अब सही समय है। पिछले कई
राजीव रंजन प्रसाद पुष्यमित्र के उपन्यास “रेडियो कोसी” पर टिप्पणी करना चाहता था, शायद अब सही समय है। पिछले कई
पुष्यमित्र अपने देश में राजनीति ने काम करने का बड़ा दिलचस्प तरीका अख्तियार कर लिया है, दुर्भाग्य यह है कि
पिछले कई घंटों से सोशल मीडिया पर कामता सिंह के निधन की सूचना के बाद पत्रकार साथियों के गमजदा संदेश
संजय बिष्ट के फेसबुक वॉल से दुनिया किसी के न रहने के बाद भी चलेगी… वक्त दौड़ेगा वैसे ही आंसूओं को
मृदुला शुक्ला जरा पलटिये माइथोलोजी से लेकर इतिहास की पोथियाँ, स्त्रियां कब रही हैं युद्ध के समर्थन में ? ये
पुष्यमित्र जरा इस तसवीर को देखिये, आधा दर्जन से अधिक लोगों की बाहों में स्लाइन की बोतलें लगी हुई हैं।
धीरेंद्र पुंडीर कारगिल में एकाएक कही से युद्ध आ गया और उसने हिंदुस्तानी जवानों को मार गिराया। ये युद्ध कहां
पुष्यमित्र गुरमेहर कौर शायद यही नाम है। मेरे फेवरिट बैट्समैन वीरेंद्र सहवाग की वजह से आज यह नाम हर किसी
धीरेंद्र पुंडीर चुनाव की टेबल पर तमाम दल लेटे हुए हैं, जनता ऑपरेशन में जुटी हुई है। कैची हाथ में
‘पेड़ों की छांव तले रचना पाठ के अंतर्गत 29वीं साहित्यिक गोष्ठी वैशाली गाजियाबाद स्थित हरे भरे मनोरम सेंट्रल पार्क में