मधुरपट्टी नाव दुर्घटना हादसा नहीं, प्रशासनिक लापरवाही है: चिराग पासवान

मधुरपट्टी नाव दुर्घटना हादसा नहीं, प्रशासनिक लापरवाही है: चिराग पासवान

मुजफ्फरपुर/बदलाव प्रतिनिधि

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा है कि गायघाट के मधुरपट्टी में हुई भीषण नाव दुर्घटना में यहां के स्कूली बच्चों समेत एक दर्जन लोगों की मौत हादसा नहीं ,प्रशासनिक लापरवाही है।वे आज मधुरपट्टी में नाव दुर्घटना में मृत लोगों के परिजनों से मिलने आए थे। उन्होंने कहा कि 2 हजार की आबादी वाले इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का नहीं होना यही साबित करता है कि सरकार और प्रशासन की ओर से इसपर आज तक कोई ध्यान ही नहीं दिया गया।इस गांव के बच्चे हाईस्कूल तक की पढ़ाई करने रोज नाव से नदी पार कर बलौर हाईस्कूल जाते हैं। यहां राशन दुकान भी नहीं है जिसकारण लोगों को राशन लेने भी नदी पार करना होता है।गुरुवार के दिन हुए नाव दुर्घटना में मृत अधिकांश स्कूली बच्चे थे जो पढ़ने के लिए बलौर हाईस्कूल जा रहे थे और महिलाएं राशन लेने जा रहीं थीं।चिराग पासवान ने आहत स्वर में पूछा ,विभिन्न राजनीतिक दल इन गरीब -गुरबों को अबतक अपना वोट बैंक समझती रहेंगी? जब चुनाव आता है तब राजनीतिक दलों के प्रत्याशी यहां हाथ जोड़े हुए वोट मांगने आ जाते हैं और फिर कभी इनकी सुधि नहीं लेते। उन्होंने कहा , यहां नदी में डूबने से हर साल कुछ न कुछ मौतें आम बात हो गई है।2002 में भी नाव दुर्घटना में इस गांव के एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रायः हर साल कोई न कोई यहां नदी में डूब कर अपना प्राण गंवाता रहा है।इस बार की घटना हृदयविदारक है।स्कूल में पढ़ने जाते हुए बच्चों की डूबकर मौत हुई है।यदि मधुरपट्टी में हाईस्कूल होता ,, पीडीएस की दुकान होती और एक स्वास्थ्य उपकेन्द्र होता तो यहां के ग्रामीणों को दैनिक जरूरतों के लिए रोज नाव का सहारा नहीं लेना पडता।उन्होंने मधुरपट्टी घाट पर पुल निर्माण की चर्चा करते हुए कहा कि यदि यह मेरे बस की बात होती तो मैं जरूर यहां पुल का निर्माण करवाता। फिर भी मैं इस विपदा की घड़ी में आपके साथ हूं।मैं यहां पुल निर्माण का हर सम्भव कोशिश करूंगा।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते
हुए चिराग ने कहा कि जब इस गांव में नाव हादसे में एक दर्जन लोग डूब गये तब नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम में आए हुए थे।उन्हें इस दुखद घटना की सूचना मिली ,फिर भी उन्होंने यहां आना मुनासिब नहीं समझा। यह उनकी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।