स्वच्छता के लिए 30 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला

स्वच्छता के लिए 30 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला

अविनाश उज्ज्वल

नीयत साफ हो और इरादा मजबूत तो हर काम आसान लगने लगता है । कुछ ऐसे ही हौसले और जज्बे के साथ बिहार के सीतामढ़ी में गांव वालों की मदद से प्रशासन ने हर दिन एक हजार शौचालय बनाकर 16 पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प लिया है। सीतामढ़ी के बेलसंड मंडल में स्वच्छता मिशन के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए सभी 16 पंचायतों में 30 किलोमीटर लंबी मानवश्रृंखला बनाई गई । इस मानव श्रृंखला में लगभग 30 हजार बच्चों और बड़ों ने भाग लिया।

ये मानव श्रृंखला एक तरफ स्वच्छता का संदेश दे रही थी तो दूसरी ओर समाज के सभी वर्गों ने एक साथ खड़े होकर स्कूली बच्चों का हौसला बढ़ाया। यही नहीं जिले के सरकारी महकमे ने अपनी सौ फीसदी भागीदारी निभाकर ये भी बता दिया कि ये सिर्फ कल्पना नहीं है। इसे हकीकत में बदलने के लिए प्रशासन पंचायत के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़ा है ताकि दो अक्टूबर को जब हिंदुस्तान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाए तो सीतामढ़ी जिले की ये सभी पंचायतें खुद को शौच मुक्त कर बापू को असली श्रद्धांजलि दे सकें। साथ ही देश को ये संदेश दे सकें कि बापू की प्रतिमा पर सिर्फ फूल चढ़ाने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनके सपने को साकार करने के लिए आगे आना होगा ।

unnamed (3)unnamed (1)अभियान की शुरुआत करते हुए शिवहर की सांसद रमा देवी ने लोगों से इस मिशन से जुड़ने की अपील की और कहा कि- ”खुले में शौच मुक्‍त समाज, गांव का निर्माण खुद के प्रयास के बिना मुमकिन नहीं ।” जबकि जिलाधिकारी  राजेश रौशन ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा कि ”शौचालय मान सम्‍मान और बच्‍चों के भविष्‍य से जुड़ा मामला है। आजादी के 70 साल बाद भी हम खुले में शौच से मुक्‍त नहीं हो पाएं हैं। यह आजादी के बाद हमारी दूसरी सबसे बड़ी लड़ाई है ।” इस मौके पर सीतामढ़ी के विधानसभा सदस्‍य राणा रणधीर सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा अभियान सफल तभी होगा जब इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा भूमिहीन को मिलेगा । युनिसेफ से जुड़े प्रवीण मोरे ने इस पहल की सराहना की और बताया कि सीतामढ़ी के सभी 273 पंचायतों में से 5 पंचायतें पहले ही खुले में शौच मुक्त हो चुकी हैं इनमें मरपा, हरिहरपुर, नानपुर दक्षिण, सिरौरीली और नानपुर उत्‍तर शामिल हैं । इस मानव श्रृंखला के दौरान विभिन्‍न पंचायतों में नुक्‍कड़ नाटक, गीत-संगीत, बैनर और हैंड बिल्‍स के जरिए भी लोगों को जागरूक किया गया।