अक्सर जब हम महाराष्ट्र की लोक कला शैलियों की बात करते हैं तो हमारे जेहन में ‘तमाशा’, गोंधल, पोवाडा, और
Tag: नाटक
एम के रैना का नाटक गांधी को बनाता है बच्चों का ‘रॉकस्टार’
ललित सिंह जब- जब समाज में हिंसा, दर्प और
शहीद सैनिकों का ‘दफ़न-विद्रोह’ और मंच पर ‘ज़िंदा’ सवाल
मोहन जोशी मशहूर लेखक व दार्शनिक ‘ज्यां पॉल सात्रे’ ने कहा था ‘ यदि आप जीत का वृतांत सुन लें , तो
नेमिजी के होने न होने के 100 बरस
रवीन्द्र त्रिपाठी किसी बड़े रचनाकार की जन्मशती के मौके पर ये सवाल उठ सकता है कि उसे किस रूप में
बनारस में कथानक को इम्प्रेशन में बदलता ‘मैकबेथ’
संगम पांडेय व्योमेश शुक्ल की नई प्रस्तुति ‘बरनम वन’ का कलेवर मैकबेथ की तमाम होती रही प्रस्तुतियों में काफी मौलिक
जब पिता मेहमान बनकर अपने ही घर पहुंचा
प्रतिभा ज्योति ‘एक दिन का मेहमान’ जैसे ही घर आता है, तनाव पसर जाता है. घर की बच्ची चुपचाप है
ग़ाज़ियाबाद में आज ‘एक दिन के मेहमान’ का मंचन
गाजियाबाद के इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज में आज दिनांक 17 जून दिन रविवार की शाम 7 बजे एक दिन का
य़थार्थवाद के ठप्पे को ध्वस्त करता रवि तनेजा का कोणार्क
संगम पांडेय रवि तनेजा की प्रस्तुति कोणार्क अकेला ऐसा नाटक है जिसे मैंने देखने के पहले ही पढ़ रखा था।
जब सेल्युकस को पर्दे के पीछे गिफ्ट में मिला पार्कर पेन
ब्रह्मानंद ठाकुर बात 1965 की है। मैंने गांव के बेसिक स्कूल से सातवीं कक्षा पास कर उसी कैम्पस के सर्वोदय
राजा शिव छत्रपति सिर्फ महानाट्य नहीं है!
सच्चिदानंद जोशी जो लोग राजा शिव छत्रपति को सिर्फ एक महानाट्य मान कर देखने जा रहे हैं, वो एक भारी