ग्वालियर के ‘गुंडे’ ने किसी रंगकर्मी से बदसलूकी नहीं की

अनिल तिवारी करीब 1962 के दौरान पिता जी का तबादला ग्वालियर हो गया और मेरा दाखिला उस समय के सर्वश्रेष्ठ

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रंगमंच पर साकार राजकमल चौधरी की ‘मल्लाह टोली’

संगम पांडेय नीलेश दीपक की प्रस्तुति ‘मल्लाह टोली’ एक बस्ती का वृत्तचित्र है। ‘कैमरा’ यहाँ ठहर-ठहरकर कई घरों के भीतर

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आजमगढ़ का शारदा टाकीज बना रंगमंच का नया ठीहा

संगम पांडेय आजमगढ़ के उजाड़ और खस्ताहाल शारदा टाकीज को अभिषेक पंडित और ममता पंडित ने रंगमंच के लोकप्रिय ठीहे

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इंटरनेट के दौर में दो पीढ़ियों के दो अलग-अलग युग

संगम पांडेय जो दर्शक वही-वही नाटक देख-देख कर ऊब चुके हों उन्हें निर्देशक सुरेश भारद्वाज की प्रस्तुति ‘वेलकम जिंदगी’ देखनी

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