कोरोना नहीं हमारा सिस्टम है पत्रकार चंद्रशेखर की मौत का जिम्मेदार !

कोरोना नहीं हमारा सिस्टम है पत्रकार चंद्रशेखर की मौत का जिम्मेदार !

फाइल फोटो-चंद्रशेखर

एक गरीब परिवार का लड़का कुछ सपने लेकर गांव से शहर की गलियों में आया था । पत्रकार बनकर समाज को नई दिशा देना चाहता था लेकिन उसे क्या मालूम जिस सिस्टम में रहकर वो समाज में बदलाव की इमारत खड़ी करना चाहता है उसकी बुनियाद पहले से ही काफी हिली हुई है और हुआ भी वही । जिस इमारत के बलबूते वो इबारत लिखने चला था उसी इमारत में कुछ जालिम ईंट ऐसी थी जिससे वो टकरा गया और फिर ऐसा गिरा कि कभी अपनी आवाज नहीं उठा सका । हम बात कर रहे हैं चंद्रशेखर की। पत्रकार चंद्रशेखर की एक दिन पहले कोरोना से मौत हो गई । कहने के लिए तो युवा पत्रकार चंद्रशेखर की मौत कोरोना से हुई है, लेकिन उनकी जान हमारे सिस्टम ने ली है । क्योंकि जिस दौर में कोरोना की शुरुआत हुई उसी दौर में महीने की 20 हजार रुपये पगार पाने वाले युवा और एक मेहनती पत्रकार को नौकरी से निकाल दिया गया । शायद सिर्फ इस लिए कि बॉस को पसंद नहीं था । मीडिया की यही सच्चाई है आपको काम चाहे जितना भी आता हो, आप चाहे मेहनत जितनी भी करते हों, बॉस को आपका काम भी पसंद हो लेकिन अगर आप हाजिर जवाबी है तो शायद बॉस आपको नापसंद करने लगे । शायद युवा पत्रकार चंद्रशेखर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ । एक दिन बॉस का फरमान आता है और उसे कोरोना काल में नौकरी से निकाल दिया जाता है । तीन महीने बिना नौकरी पूरे परिवार का उसने कैसे भरण पोषण किया मालूम नहीं, लेकिन ऐसा लगता है काश अगर उसकी नौकरी रही होती तो शायद आज वो जिंदा होता । चंद्रशेखर की मौत के बाद आज उनके साथी फेसबुक पर उन्हें अपने अपने तरीके से श्रद्धांजालि दे रहे हैं।

मनीष मासूम

छोड़िये मेरी बात, दशक, कुछ दशक. कुछ और साल आएंगे, मैं मरूंगा और आप भी मरेंगे लेकिन जब होने का वक्त है तब कोई मर जाये ना तो कलेजा क्या सब कुछ फट जाता है. उसे कोरोना ने लील लिया.

एक सहकर्मी था जिंदल जी के चैनल न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया में, मरता तो खैर वो वहां भी होगा क्योंकि महीने भर का हासिल 20 हज़ार के आस -पास रूपये होंगे शायद. लेकिन वो दिलेर था विचारधारा के हिसाब से बहने वाला, न्यूज़रूम में बाबा टाइप के लोगों को बुलंद ज़बान से ठोकने वाला,  उसकी आवाज़ पता नहीं कहाँ गई पर वो मैं था, वो आप थे, वो हर एक न्यूज़ चैनल का एक पैकेजिंग प्रोडूसर था. वो था, लेकिन उसके बूढ़े मां-बाप अभी हैँ, तो थोड़ा सहारा बनिए. कल अकाउंट डिटेल मिलेगा तो मैं भी श्रद्धांजलि दूंगा, आप भी दीजियेगा.

आलोक साहिल

चंद्रशेखर नहीं रहे। पत्रकार थे। बड़े पत्रकार नहीं थे। हो भी नहीं सकते थे, प्रोडक्शन वाला भला कैसे बड़ा पत्रकार हो सकता था। बहरहाल, अब कुछ भी लिखने और कहने का कोई खास मतलब नहीं है। वो दिल्ली के एक अस्पताल के मोर्चरी में हैं। आगे बताने की जरूरत नहीं।

गरीब थे, परिवार के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति, करीब साल भर से बेरोजगार थे और दिल्ली सरकार के तमाम दावों के बावजूद भूखमरी से जूझते हुए कोरोना की जद में आ गए। पता नहीं कौन क्या कर सकता है इस वक्त क्योंकि उनके जीते जी बहुत कुछ हो नहीं पाया, ना मुझसे, ना ही बाकी लोगों से। और, अब भी बहुत कुछ कर पाना मुमकिन नहीं। हां, कुछ आर्थिक मदद करके परिवार को थोड़ी राहत जरूर दे सकते हैं। उनके पीछे उनकी पत्नी और वृद्ध मां हैं। उनकी पत्नी का अकाउंट नंबर नीचे है। बाकी, आप समझदार हैं।

नाम- MS Anita Gupta
Account- 6023000100079260
IFSC- PUNB0602300
Mobile number-8447325870

नोट- बहुत लोगों को टैग नहीं कर पाया, प्लीज अपने स्तर पर आगे बढ़ाते रहिए। Yashwant Singh भैया, Indianews ने कई महीनों का वेतन मारा था, भाई का। कोशिश कीजिए कि कुछ बन सके इस दिशा में भी।