पिता-पुत्र जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में कैसे रचा इतिहास

पिता-पुत्र जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में कैसे रचा इतिहास

जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़… एक ऐसे न्यायिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं, जो अपने आप में एक इतिहास बन गया है… पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ ने साल 1978 में देश के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली थी और बेटे धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने साल 2022 में वो शपथ दोहराई है… न्यायाधीश भले ये कहें कि भावनाओं पर क़ाबू करना वो जानते हैं लेकिन इस शपथ के साथ भावनाओं का एक रिश्ता जुड़ता ज़रूर है… दफ़्तर के पहले दिन डी वाई चंद्रचूड़ की तस्वीरें आई हैं… तिरंगे के सामने झुके हुए जस्टिस चंद्रचूड़ पता नहीं राष्ट्र के साथ ही किन-किन महानुभावों और परंपराओं के प्रति अपना मौन सम्मान जाहिर कर रहे हैं

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ ने इंदिरा गांधी और संजय गांधी की कैसे रातों की नींद उड़ा दी थी, ये आपको बताएँगे लेकिन सबसे पहले वो पाँच बड़े न्यायिक मुकदमे जिनको अंजाम तक पहुँचाने में डी वाई चंद्रचूड़ की अहम भूमिका रही… वो समझ लीजिए
अयोध्या मंदिर भूमि विवाद पर फैसला सुनाने वाली पाँच सदस्यीय पीठ का हिस्सा रहे
समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का फ़ैसला सुनाने वाली पीठ में भी थे
विवाहित और अविवाहित सभी महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात के अधिकार का फ़ैसला दिया आधार योजना की वैधता और निजता के अधिकार से जुड़े मामलों पर फ़ैसला दिया
महिलाओं से जुड़े मसलों में सबरीमला, सेना-नौसेना में स्थायी कमीशन देने का जजमेंट दिया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर उन्होंने नोएडा के ट्वीन टावर को गिराने का फ़ैसला किया था

74 दिनों के कार्यकाल में जस्टिस यूयू ललित ने बड़ी तेज़ी से कई केस निपटाएँ हैं… इस लिहाज़ से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पास काफ़ी वक़्त है… पहले ही दिन राष्ट्रपति महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उस आख़िरी आदमी के मामले में बड़ी टिप्पणी की, जिसकी बात बापू किया करते थे…. तमिलनाडु का शिक्षा विभाग 22 साल तक पार्ट टाइम कर्मचारी के तौर पर काम करने वाले एक व्यक्ति को स्थायी कर्मचारी वाले बेनेफिट्स नहीं देने की ज़िद पर अड़ गया था… चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई… कोर्ट ने टिप्पणी की…

ग्राफ़िक्स इन
एक आदमी ने 22 साल तक स्कूल में सफ़ाई कर्मचारी के तौर पर सेवा दी. 22 साल बाद वो कर्मचारी बिना पेंशन और ग्रेच्युटी के घर लौटे. आख़िर कैसे एक सरकार गरीब सफ़ाई कर्मचारी के ख़िलाफ़ फ़ैसला कर सकती है. एक गरीब कर्मचारी के ख़िलाफ़ सरकार अपनी ताक़त का इस्तेमाल कर सकती है. माफ़ कीजिए हम याचिका को ख़ारिज कर रहे हैं.
ग्राफ़िक्स आउट
तो क्या आने वाले दिनों में ऐसे ही कई और फ़ैसले और टिप्पणियाँ आएँगी जो आम आदमी की ताक़त को बढ़ा जाएगी… इंतज़ार कीजिए… हम आपको बताते हैं कि ‘आयरन हैंड्स’ के नाम से पुकारे जाने वाले वाई वी चंद्रचूड़ के फ़ैसलों से कैसे सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोगों को झटका लगा था…
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने उस वक़्त मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली थी, जब केंद्र में मोरारजी देसाई सरकार थी
चर्चित क़िस्सा कुर्सी का केस में संजय गांधी को जेल भेजने का फ़ैसला जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ ने ही सुनाया था
जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बड़े फ़ैसलों में शाह बानो को गुज़ारा भत्ता का हक़ देना भी शामिल था, जो धर्मनिरपेक्षता के लिहाज़ से एक नज़ीर बना
हालांकि राजीव गांधी सरकार ने इस फ़ैसले को देश की संसद में एक क़ानून बना कर पलट दिया था

न्यायिक दृढ़ता की इसी पारिवारिक परंपरा में आते हैं जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़… जिन्होंने दो बार ख़ुद अपने पिता के फ़ैसलों को पलट दिया, नई व्याख्या कर दी… जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ये मानते हैं कि कोई भी जज अपने समाज और संवैधानिक परिवेश में फ़ैसला लेता है… सच है लेकिन ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि एक न्यायाधीश की सोच, समझ और अनुभवों का दायरा क्या रहा है… आपको फटाफट पाँच प्वाइंट में बताते हैं जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का अब तक का सफ़र …
सेंट स्टीफेंस से ग्रेजुएशन. कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी से क़ानून की पढ़ाई की
अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम की डिग्री ली और वकालत में जुट गए
गुजरात, कलकत्ता, इलाहाबाद, मध्यप्रदेश , दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की
साल 1998 से 2000 के बीच वो भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे
आप बंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे

2016 से जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में हैं लेकिन अगले दो साल उन पर सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है… न्याय के मंदिर पर लोगों की आस्था का बने रहना ज़रूरी है, ये वो बख़ूबी जानते समझते हैं…