पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ भाकपा माले का डीएम के सामने धरना-प्रदर्शन

पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ भाकपा माले का डीएम के सामने धरना-प्रदर्शन

बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर

भाकपा-माले ने जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष पिछले दिनों मुशहरी थाना द्वारा आधी रात में रघुनाथपुर गांव में छापेमारी कर दो निर्दोष छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेजने तथा कई लोगों पर मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया। प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी से मिलकर एक मांग-पत्र प्रस्तुत करते हुए
मुशहरी थाना कांड संख्या 252/23 को मनगढ़ंत कहानी बताते हुए छापेमारी करने , दो छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कारवाई को एक साजिश बताया है। छापेमारी, गिरफ्तारी तथा एफआईआर में दर्ज मामले को मनगढ़ंत बताते हुए दोषी मुशहरी थाना के पुलिस अधिकारी रामाशंकर प्रसाद राय पर सख्त कारवाई करने की मांग की गई। माले नेताओं ने दर्ज मुकदमा को खारिज करवाने तथा गिरफ्तार छात्रों को रिहा करवाने का अनुरोध जिलाधिकारी से किया है। प्रतिमंडल में माले मुशहरी प्रखंड सचिव शत्रुघ्न सहनी, जिला कमिटी सदस्य बिमलेश मिश्र, शंभू राम, अच्छेलाल पासवान और महिला नेत्री रानी प्रसाद शामिल थे।धरना-प्रदर्शन में प्रतिनिधि मंडल में शामिल नेताओं के साथ इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम, खेत मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष होरिल राय, ऐक्टू नेता परशुराम पाठक, माले नेता रामबालक सहनी, बिन्देश्वर साह, रमेश पासवान, रामप्रवेश राम, राहुल कुमार, सोनू कुमार, मालती देवी, नयन कुमारी, प्रिय रंजन कुमार, रणधीर कुमार, अमृता कुमारी, राजू कुमार सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और छात्र-नौजवान शामिल थे।
धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि आये दिन दलितों, महादलितों,गरीबों व कमजोर वर्ग के लोगों तथा अल्पसंख्यकों पर पुलिस द्वारा फर्जी मुकदमा, गिरफ्तारी और प्रताड़ित करने की कारवाई जारी है। इसके पीछे दबंग लोगों और भाजपाइयों की सोची-समझी साजिश काम कर रही है। और यह सब पुलिस-प्रशासन से सांठगांठ कर हो रहा है। नीतीश सरकार को ऐसे पुलिस अधिकारियों और साजिशकर्ताओं पर अविलंब सख्त कारवाई करनी चाहिए।माले नेताओं ने आगे कहा कि महागठबंधन सरकार को माले और वामपंथी पार्टियां बाहर से समर्थन कर रहीं हैं लेकिन गरीबों, कमजोर वर्ग के लोगों, दलितों, अल्पसंख्यकों व आमलोगों पर यदि पुलिसिया दमन जारी रहा तो इसके खिलाफ आंदोलन और तेज होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह के मामले पर सख्ती से रोक लगाने का निर्देश देना चाहिए।