ब्रह्मानंद ठाकुर महात्मा गांधी की कल्पना का भारत स्वशासी ग्रामीण इकाइयों का था, गांधी और अराजकवाद के आलेख की कड़ी
Author: badalav
घाटों पर तीन दिन की ‘चांदनी’, फिर अंधेरी रात…
पुष्यमित्र छठ जीवित देवताओं का पर्व है। यह सिर्फ सूर्योपासना का ही पर्व नहीं है, जल धाराओं की उपासना का
यह दुनिया माया है
पुष्य मित्र जब तक भारत गांवों का, किसानों का देश था, तब तक दीपावली पर हर घर में लक्ष्मी आती
गरीब उद्यमियों के सपनों के साथ ‘न्याय’ कीजिए
निखिल कुमार दुबे के फेसबुक वॉल से साभार अर्थशास्त्र मेरा विषय नहीं है।नोबल प्राप्त एक्सपर्ट पर कॉमेंट करूँ इतना ज्ञान
अब तो उनको दुआ से भी डर लगता है
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार अल्लामा इकबाल ने एक कविता लिखी थी, बच्चे की दुआ। पीलीभीत के एक
ज़िंदगी ‘किताब’ हो गई… चलो झांक आएं आलोक के सपनों की दुनिया
पीयूष बबेले उनके भीतर एक घड़ी है, जो लगातार काम की रफ्तार को सांसों की रफ्तार से तेज किए रहने
ग्रीस मेट्रो में ‘गायब पर्स’ और ‘जय हिंद’ के हिलोरे
सच्चिदानंद जोशी पुणे जाना था। हमेशा की तरह आफिस से निकलते निकलते देर हो गयी। शाम के समय फ्लाइट पकड़ना
‘जंजीर ‘ से ‘चीनी कम’ तक खयाल आता है…
प्रवीण कुमार अमिताभ तमाम खूबियों के बीच दृढ़-संकल्प, सहज , हर मौसम में काम करने वाले इंसान के कारण अजीज
इस पल का कोई मोल नहीं
अखिलेश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार बच्चों को कहानियां सुनाने का अपना अलग ही मजा है । फिर से
मानसिक रोगियों की सुध कब लेगी बिहार सरकार ?
पुष्य मित्र आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है। इस मौके पर आपसे एक सूचना साझा करना है कि रांची के