नीलू अग्रवाल बिहार में चुनाव का शोर शुरू हो गया है। इसके साथ ही सियासी दलों के रणनीतिकार जाति के
Author: badalav
‘आफ़ताब’ और ‘सूरज’ से रौशन होना हो तो, खिड़कियां खोल लें
पशुपति शर्मा पटना में चल रहे अनु आनंद राष्ट्रीय रंग महोत्सव के चौथे दिन की दोपहर गांधी के आदर्शों के
पटना के रंगमंच पर ‘मेहमान’ की ‘दस्तक’
बदलाव प्रतिनिधि निर्मल वर्मा की कहानियों को मंच पर उतारना आसान नहीं है। मगर पटना के प्रेमचंद रंगशाला में निर्देशक
‘बंजर जमीन’ पर उम्मीद की एक बूंद!
एपी यादव की रिपोर्ट भादो का महीना अपनी ढलान पर है, किसान आसमान में टकटकी लगाए बैठा है, धरती फटती
पटना में राष्ट्रीय रंग महोत्सव – फाइनल कॉल की पहली घंटी
पशुपति शर्मा रंगकर्मी दोस्तो। पहली घंटी बज गई है। बस तीन दिन बाद पटना में रंग महोत्सव शुरू हो रहा
प्रधानमंत्री से सीधे बतियाता है एक गांव
जितेंद्र कुमार देश का एक ऐसा गांव जो सीधे सेवन आरसीआर से संवाद करता है। हम बात कर रहे हैं दिल्ली
रूठे बदरा, सूखी ज़मीन… देखो न सरकार
अरुण प्रकाश दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की विडंबना कुछ ऐसी कि एक सूबे के चुनाव में सब कुछ
हर ‘डंडे’ पर ‘सॉरी’ कहना कहां मुमकिन है?
चंदन शर्मा आदरणीय मोदी जी, ट्वीटर पर सॉरी बोल देने से सब कुछ खत्म नहीं हो जाता। चंडीगढ़ में जो
ऐ हिंदी, वो करते रहें फ़िक्र, हम तो तुम पे फिदा हैं
विश्व हिन्दी सम्मेलन, भोपाल से ज़ैग़म मुर्तज़ा हिंदी दुनिया की चौथी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। दुनिया भर में
सरकार, कैसे हैं मुखियाजी के ‘मास्टरसाब’?
कुबेरनाथ बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति में कुछ सुधार तो हुआ है लेकिन शिक्षा में नहीं। लालू राज में