सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की जिंदगी ‘आसान’ बना रहे हैं अर्पित

सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की जिंदगी ‘आसान’ बना रहे हैं अर्पित

वीके गुप्ता

सोशल मीडिया आज एक ऐसा प्लेट फॉर्म है जहां आप अपने हुनर के मुताबिक अपनी अलग पहचान बना सकते हैं । इसलिए लिए आपको किसी की सिफारिश की कोई जरूरत नहीं। बस आपको जरूरत है तो वर्जुअल दुनिया के सामने अपने हुनर को ईमानदारी से साझा करने की । ऐसा ही एक नाम है अर्पित। 30 साल के अर्पित करीब चार साल पहले एक आम युवा की तरह जीवन और नौकरी के संघर्षों से जुझ रहे थे, लेकिन साल 2016 में अर्पित ने अपने हुनर को दुनिया के सामने लाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेने का फैसला किया। एक बार अर्पित ने जब वर्चुअल दुनिया में कदम बढ़ाया तो फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।

आज अर्पित सोशल मीडिया स्टार या यूं कहें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की बेहद कम वक्त में अर्पित के लाखों फॉलोवर हो चुके हैं। 30 साल के अर्पित मोटिवेशनल और शैक्षणिक पेज चलाते हैं। #आसानहै (aasanhai008) के संस्थापक अर्पित का ये पेज इंस्टाग्राम पर हिंदी में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पेजों में एक है। आसानहै पेज पर इनके फ़ॉलोअर की संख्या 6 लाख से भी ज़्यादा हैं। उनके इंस्टाग्राम पेज की अकाउंट रीच 75 लाख तक पहुंच गई है यानी कुल मिलाकर 75 लाख लोग हर महीने उनके पेज पर किसी ना किसी रूप में जुड़ते हैं । अर्पित का ये मोटिवेशनल पेज लाखों युवाओं की ज़िंदगी संवार रहा है।इसके अलावा अर्पित दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर भी ख़ासे सक्रिय है। उनको टेलीग्राम, फ़ेसबुक और ट्वीटर पर भी लाखों फ़ॉलोवर हैं। इन सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर कुल मिलाकर उनसे क़रीब 20 लाख से ज़्यादा लोग जुड़ चुके हैं। अर्पित ने ये उपलब्धि महज़ दो साल में हासिल की है। देश विदेश के लाखों युवा उनके पेजों से प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं।

अर्पित बताते हैं कि उनको बचपन से ही पढ़ने का शौक़ था। 9 साल की उम्र से वो कोर्स के साथ अलग अलग तरह की किताबें पढ़ने लगे। 12 साल की उम्र में उन्होंने लेख और कविताएँ भी लिखना शुरु कर दिया। जिसके लिए स्कूल से लेकर अलग अलग संस्थाओं से उन्हें पुरस्कार भी मिले। लेकिन उन्हें जीवन की सही दिशा 15 की उम्र में नरेंद्र कोहली की स्वामी विवेकानंद पर लिखी पुस्तक-तोड़ो कारा तोड़ो- से मिली। इससे जीवन को लेकर उनके सोचने और चीजों को देखने का नज़रिया ही बदल गया। ये उनके लेखन में भी दिखने लगा। ये सिलसिला कॉलेज पूरा होने तक चलता रहा।

जब उन्होंने देखा कि आज का युवा सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय है तो उन्होंने इस प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए अपने विचार युवाओं तक पहुँचाने की कोशिशें शुरू कर दी। वो बताते हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी शुरुआत दरअसल साल 2016 में ही हो गई थी। 2016 में इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपने विचारों को साझा करना शुरु किया तो महज़ छह महीने में ही उनसे 50 हज़ार से ज़्यादा युवा जुड़ गए। लेकिन असली सक्रियता साल 2018 से शुरू हुई। अपने पेज का नाम उन्होंने इंसानियत के तीन आधार आस्था, साहस और नम्रता को जोड़कर #आसान है रखा।करीब दो साल में सोशल मीडिया पर उनसे लाखों लोग जुड़ चुके हैं और ये सिलसिला लगातार जारी है।

इंस्टाग्राम एक इंटरएक्टिव प्लेटफ़ार्म भी है तो हज़ारों युवा हर महीने अर्पित से #आसानहै पेज पर अपनी व्यक्तिगत या प्रोफेशनल परेशानियाँ शेयर करते हैं। और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। अर्पित मानते हैं कि आज का युवा बहुत टैलेंटेड, समर्थ है। युवाओं के पास ना विज़न की कमी है और ना प्रतिभा की। ये युवा अपनी बेशुमार ऊर्जा और उत्साह से हर बाधा को पार कर सकते है और हर नामुमकिन लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें सही मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती रहे तो मंजिल की तरफ उनकी यात्रा थोड़ी आसान हो जाती है।