जूली जयश्री
टीम बदलाव ने मई महीने में आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गांवों की स्टोरी पर फोकस करने का फैसला किया है। इसके लिए ‘आदर्श गांव पर आपकी रपट’ सीरीज की शुरुआत हम आज से कर रहे हैं। हम मई महीने में बेस्ट रिपोर्ट को रिवॉर्ड भी करेंगे, जो मामूली धनराशि या पुस्तक किसी भी रूप में हो सकती है। तो आपके सांसद या विधायक महोदय ने अगर कोई गांव गोद लिया है, तो उसकी रिपोर्ट हम तक भेजें।
मधुबनी के सांसद हुकूम नरायण यादव ने ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत बनकट्टा पंचायत के गांव आहपुर/दामोदरपुर को गोद लिया था। दामोदरपुर गांव को गोद लेकर उन्होंने अपनी नीयत मानो पहले ही साफ कर दी थी, क्योंकि दामोदरपुर उन चंद गांवो में से एक है जहां कम से कम सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं अपेक्षाकृत ठीक-ठाक रही है। बिना रंग फिटकारी लगाए चोखा रंग दिखाना, उनके लिए आसान था। लेकिन सांसद महोदय ने तो दिखावे तक की औपचारिकता निभाने की जहमत नहीं उठायी।
लोकसभा 2014 के इलेक्शन में बीजेपी के हुकूमदेव नारायण को जिताने में इस गांव की भी अपनी भूमिका थी । बनकट्टा पंचायत से उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिला था। इसी के इनाम स्वरुप बनकट्टा पंचायत में सबसे सुदृढ गांव आहपुर दामोदरपुर को गोद लिया गया। गोद लिए जाने के बाद गांव का कितना कायाकल्प हुआ, इसका अंदाजा आपको गांव में घुसने से पहले ही हो जाएगा। गांव में प्रवेश करने के लिए बछराजा नदी पर बने पुल की जर्जर स्थिति देखकर आपको सहज ही अंदाजा हो जाएगा कि सांसद जी ने इस गांव की कितनी सुध ली है। सालों पहले बना पुल आज बेहद जर्जर स्थिति में है। मधुबनी से गांव तक बनी पक्की सड़क पर सरपट भागती गाड़ी की स्पीड गांव आते ही डगमगाने लगती है। गांव से मधुबनी दरभंगा समस्तीपुर तक पक्की सड़क जाती है जिसकी वजह से बस ट्रक जैसे भारी वाहन का आवागमन बना रहता है, ऐसे में ये पुल कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आदर्श गांव पर आपकी रपट-एक
मुहिम के साझीदार- AVNI TILES & SANITARY
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M-9810871172,858598880
इस गांव में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में गांव का स्वर्णिम इतिहास रहने के बावजूद आज भी यहां के बच्चों को अच्छी शिक्षा का माहौल नहीं मिल पाया है। अपने दादा परदादा की तरह वो भी कोसों चलकर पढ़ने जाते हैं। सघन आबादी वाले इस गांव को आज तक एक हाईस्कूल नसीब नहीं हुआ। सालों पहले इस गांव में हाईस्कूल बनाने का प्रस्ताव पास भी हुआ लेकिन वोट की राजनीति के तहत उसे दूसरे किसी गांव में बनवा दिया गया। गांव में दो प्राथमिक, दो माध्यमिक विद्यालय हैं जो यहां की आबादी के हिसाब से नाकाफी हैं। गांव को आदर्शग्राम के तहत गोद लिए जाने के बाद एक बार फिर से ग्रामीणों के मन में एक उम्मीद जगी थी कि अब शायद उनका ये सपना पूरा हो जाए और उनके बच्चों को पढने के लिए गांव से दूर न जाना पड़े , लेकिन वो ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
ग्रामीण अपने मुख्य व्यवसाय खेती में भी अब पैसा नहीं लगाना चाहते। कभी उन्हें सूखे की समस्या झेलनी पड़ती है तो कभी नदी में आयी बाढ उनकी खेती बहा ले जाती है। गांव में पर्याप्त नदी तालाब होते हुए भी उचित जल प्रबंध नहीं होने के कारण किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पा रही है। गांव के बछराजा नदी पर बनाया गया बांध पानी रोकने में सक्षम नहीं है। एक तरफ जहां गांव के पूर्व और उत्तर भाग को कटैया फाटक से सिंचाई का समुचित लाभ मिल रहा है वहीं गांव के पश्चिम और दक्षिण भाग के लोग बछराजा नदी पर निर्भर रहने के कारण सिंचाई की सुविधा से वंचित हैं। इस बांध का निदान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
दामोदरपुर में कई सारे तालाब हैं। दिग्घी का मखाना और महादई पोखर की मछली दूर-दूर तक मशहूर थी। दिग्घी में मखाने की खेती बहुत बड़े पैमाने पर होती थी। यदि प्रयास किया जाता तो इसे बहुत बड़े व्यवसायिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता था, लेकिन हो कुछ और रहा है। जो दिग्घी पोखर मखाने के लिए उपयुक्त था उसे तुष्टिकरण की राजनीति के तहत सुखाया जा रहा है, ताकि इसे मछली पालन के योग्य बनाया जा सके।
वहीं स्वास्थ्य सुविधा के मामले में ये गांव सदियों पीछे के माहौल में जीने को मजबूर है। इतनी बड़ी आबादी वाले इस गांव में आज तक एक अस्पताल की सुविधा नहीं है। प्राथमिक स्तर के इलाज के लिए बेनीपट्टी ,दरभंगा या मधुबनी का रुख करना पड़ता है। कहने को तो एक प्राथमिक स्वास्थ्य सेंटर बनाया गया है, लेकिन ये महज खानापूर्ति ही साबित हो रहा है, इस सेंटर पर जिस डॉक्टर की तैनाती की गई है उनके तो दर्शन भी दुर्लभ हैं।
गांव में एक बहुत बड़ा खेल का मैदान है। इस मैदान की वजह से गांव और इसके बाहर के लोगों में भी फुटबॉल, वॉलीबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों को लेकर खास जुनून था। आए दिन यहां ब्लॉक या जिला स्तर के खेल आयोजित किए जाते थे। पिछले कुछ सालों में स्थानीय लोगों द्वारा इस मैदान की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है। यदि सरकार की तरफ से इसमें थोड़ी सी भी दिलचस्पी दिखायी जाती तो ये एक जिला स्तरीय खेल के मैदान के रुप में विकसित किया जा सकता था।
वैसे तो बिजली इस गांव में काफी पहले से है लेकिन गांव में बिजली के तार और खंबों की स्थिति बेहद तंगहाल है, जगह जगह बिजली के खंबे गिरे तो कहीं तार लटका रहता है, जिसकी वजह से आए दिन पशुओं की जान चली जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार बिजली विभाग को इसकी जानकारी देने के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकाला जा रहा है।
यदि संभावनाओं की बात की जाए तो यहां शिक्षा से लेकर व्यवसाय तक के लिए समुचित माहौल है यदि थोड़ी सी भी सरकारी इच्छाशक्ति दिखायी जाती तो इस गांव को आदर्श ग्राम के रुप में विकसित करना बेहद आसान था। ब्राम्हण बहुल इस गांव को सांसद महोदय ने गोद भले ही ले लिया लेकिन इस गांव को लेकर उनकी मानसिकता साफ जाहिर है , विकास तो दूर आदर्श ग्राम योजना के नाम पर यहां एक दो मीटिंग के बाद किसी तरह की औपचारिता निभाने की भी जरुरत नहीं समझी गई।
जूली जयश्री। मधुबनी की निवासी जूली इन दिनों ग़ाज़ियाबाद के वसुंधरा में रहती हैं। आपने ललित नारायण मिश्रा यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की है। पत्रकारिता का उच्च अध्ययन उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से लिया है। कई मीडिया संस्थानों में नौकरी के बाद अब वो बतौर फ्री-लांसर काम कर रही हैं।
आदर्श गांव पर आपकी रपट
बदलाव की इस मुहिम से आप भी जुड़िए। आपके सांसद या विधायक ने कोई गांव गोद लिया है तो उस पर रिपोर्ट लिख भेजें। [email protected] । श्रेष्ठ रिपोर्ट को हम बदलाव पर प्रकाशित करेंगे और सर्वश्रेष्ठ रिपोर्ट को आर्थिक रिवॉर्ड भी दिया जाएगा। हम क्या चाहते हैं- समझना हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
JulI g main v mcnujc bhopal se hi mamc kiya h ,ek correction chahunga apke news me damodar pur me prathmik swasth kendra nahi h vah upswasth kendra hai,aur isme doctor ki niyukti nahi Anm ko padsthapit kiya jata hai,banki riport apki tatasth aj sahi h
Yog Nath Jha- हुकुमदेव जी ग्रामीण परिवेश के जमीनी स्तर के नेताओं में अपना स्थान रखते हैं, परन्तु ऐसे मामलों मे सारे के सारे नेताओं मे समानता कैसे हो जाती है? ये एक चिन्तनीय विषय है।
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