रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से खेतों में पैदावार जरूर बढ़ती है लेकिन जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होती गई । लिहाजा अब किसान धीरे-धीरे जैविक खेती की दिशा में बढ़ने लगे हैं । ऐसे में जरूरी है कि खेतों में रासायनिक खाद की बजाया कंपोष्ट खाद का इस्तेमाल किया जाए ।लिहाजा आधुनिक तरीके से कंपोस्ट खाद बनाकर किसान उर्वरा शक्ति के साथ अपनी पैदावार भी बढ़ा सकते हैं । वनस्पतियों की वृद्धि को तेज करने और मिट्टी की जीवन शक्ति को पुर्नस्थापित करने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर वनस्पति से निर्मित खाद को सरल तरीके से मिट्टी में डालना ही कंपोस्टिंग कहलाता है। इसको बनाने में कोई खर्च नहीं आता है, आसानी से बनाया जा सकता है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।
खाली ज़मीन पर कंपोस्ट का ढेर बनाना शुरू करें । पहले छोटी-छोटी टहनियों और घास के तिनकों को कुछ इंच गहराई में बिछाइए। कंपोस्ट सामग्री को परतों में बिछाएं मसलन एक बार सूखी सामग्री फिर एक बार नम सामग्री। बचा हुआ भोजन, चाय बैग, समुद्र के शैवाल आदि नम सामग्री हैं जबकि तिनके, पत्तियां, लकड़ी का बुरादा, और लकड़ी का राख जैसी सूखी सामग्रियों की श्रेणी में आती हैं। अगर आपके पास लकड़ी की राख है तो इसे पतली परत में बिखेर दीजिए नहीं तो वो एक साथ जुड़ कर गठ्ठर का रूप ले लेंगी । अब उसमें हरी खाद जैसे तिपतिया घास, अनाज का भूसा, गेंहू का पुवाल, घास की कतरन या नाइट्रोजन का कोई भी स्त्रोत मिलाएं । ये ढेर को कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया को तेज करता है। कंपोस्ट को आद्र या नम रखिए। बीच बीच में पानी का छिड़काव जरूर करें ।
इस दौरान इस बात का ख्याल रखें की कंपोस्ट का ढेर खुला न रहे यानी कंपोस्ट को किसी भी चीज जैसे लकड़ी, प्लास्टिक शीट, कार्पेट स्क्रैप आदि से ढंक कर रखा जाना चाहिए। इससे कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया तेज होती है। बीच-बीच में या फिर हफ्ते में एक बार कंपोस्ट के ढेर को कुदाल या फिर फावड़े की मदद से जरूर मिलाएं । इससे उस ढेर में हवा का संचरण होगा और कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया के लिए जरूरी ऑक्सीजन भी मिलता रहेगा । एक बार कंपोस्ट का ढेर बनने के बाद उसपर नई सामग्री डालनी है तो सिर्फ उसे ऊपर से डालकर छोड़ने की बजाय उसे अच्छे से मिलाने की कोशिश करें । अगर आप इसके लिए आप कोई कंपोस्टर खरीदना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि ऐसा कंपोस्टर खरीदें जो घूम सके और कंपोस्ट को अच्छे से मिला सके । कंपोस्ट का मिश्रण बनाने या उसे लगातार मिलाते रहने से कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया तेज होती है। कंपोस्ट में कार्बन और नाइट्रोजन के अनुपात का संतुलन जरूरी होता है । कार्बन कंपोस्ट को हल्ला बनाता है । ऐसी सामग्री जिनमें कार्बन की अधिकता होती है उनमें टहनियां, पौधे की जड़, सूखे पत्ते, छिलके, लकड़ियों के टुकड़े, छाल का बुरादा या लकड़ी का बुरादा, पेपर बैग के टुकड़े, मकई के डंठल, कॉफी फिल्टर, चीड़ की पत्तियां, अंडे के छिलके, पुआल, पीट का काई, लकड़ी की राख जैसी सामग्री शामिल हैं । जबकि नाइट्रोजन एंजाइम्स के निर्माण में सहायक है । प्रोटीन युक्त सामग्रियां जैसे अपशिष्ट, भोज्य अपशिष्ट, लान की हरी घास, हरी पत्तियां नाइट्रोजन का स्रोत हैं ।
एक अच्छे कंपोस्ट के ढेर में नाइट्रोजन की तुलना में कार्बन का प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए। इसके लिए सामान्य सा नियम है कि एक तिहाई हरी सामग्रियों का और दो तिहाई भूरी सामग्रियों का इस्तेमाल करना चाहिए । भूरी सामग्री की मौजूदगी आक्सीजन को भीतर पहुंचने में मदद करती है और उसमें मौजूद जीवाणुओं के पोषण में मदद करता है। बहुत ज्यादा नाइट्रोजन एक घने, बदबूदार और धीरे धीरे अपघटित होने वाला अवायवीय स्थूल का निर्माण करता है। जबकि नाइट्रोजन से समृद्ध सामग्रियों से बनने वाला कंपोस्ट स्वच्छ होता है जो कि खुली हवा के संपर्क में आने से बदबू देता है, इसमें कार्बन की अधिकता से कई बार सुगंधित हवा बाहर आती है।
पत्तियों से तैयार होने वाले कंपोस्ट
अगर कंपोस्ट तैयार करने के लिए अपशिष्ट के तौर पर आपके पास बहुत सारी पत्तियां हैं तो आप सिर्फ पत्तियों से भी कंपोस्ट तैयार कर सकते हैं। आप इन सारी पत्तियों का ढेर उस जगह बनाइए जहां जल निकासी का सटीक प्रबंध हो, छाया वाली जगह हो तो बेहतर है। इससे पत्तियां सूखेंगी नहीं। पत्तियों की ढेर का ब्यास 4 इंच और ऊंचाई तीन इंच तक होनी चाहिए। पत्तों के ढेर के प्रत्येक स्तर पर धूल की परत चढ़ा दिया जाना चाहिए। पत्तों के इस ढेर में नमी ठीक ठाक होनी चाहिए। नमी इतनी हो कि अगर ढेर से एक पत्ती उठाकर उसे हाथ से निचोड़ा जाए तो दो तीन बूंद आद्रता हाथ में आज जाए। ढेर में पत्तों को बहुत ज्यादा ठूंस ठूंस कर न रखें ।
चार से छह महीने में ये ढेर, काले और भूरभूरे कंपोस्ट के रूप में तैयार हो जाएगा। पत्तियों से बने कंपोस्ट का सर्वोत्तम उपयोग मिट्टी के जैविक संशोधक और कंडीशनर के तौर पर होता है। इसका उपयोग आमतौर पर बतौर उर्वरक नहीं होता है क्योंकि इसमें पोषकतत्व कम होते हैं।
कंपोस्ट के फायदे
कंपोस्ट तैयार करने से घर से निकलने वाले कूड़ों का कम से कम तीस फीसदी हिस्सा दूबारा उपयोग में आ जाता है।
मिट्टी के लिए उपयोगी जीवाणुओं की प्रचुरता कंपोस्ट में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु मिट्टी में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने, पौधों के उपयोग के लिए मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थ को तोड़ने और पौधों को रोगाणु मुक्त करने में मदद करते हैं।
पर्यावरण के लिए बेहतर कंपोस्ट रासायनिक खाद के लिए एक प्राकृतिक विकल्प उपलब्ध कराता है।
ठोस अपशिष्ट भराव क्षेत्र को कम करता है उत्तरी अमेरिका में मौजूद अधिकांश ठोस अपशिष्ट (कचरा) भराव क्षेत्र तेजी से भर रहे हैं, इनमें से कई पहले ही बंद हो चुके हैं। ठोस अपशिष्ट (कचरा) भराव क्षेत्र में एकत्रित कचरा का एक तिहाई हिस्सा कंपोस्ट किए जा सकने वाली सामग्रियों से भरी होती हैं।
आप अपने बगीचे की मिट्टी को भी अपने कंपोस्ट में डाल सकते हैं। मिट्टी की एक परत किसी भी तरह की दुर्गंध आने से बचाएगी, मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणु कंपोस्ट बनने की प्रक्रिया को तीव्र करेंगे।
साभार- इफको लाइव