काव्य फूलों की तरल मुस्कान से पट गई पूर्णिया की धरती

काव्य फूलों की तरल मुस्कान से पट गई पूर्णिया की धरती

शंभु कुशाग्र

नववर्ष 2018 की पूर्व संध्या पर पुराने साल को विदाई देने और नए साल के स्वागत में पूर्णिया के साहित्यकार भारतीय लेखक मंच के बैनर तले स्थानीय जिला स्कूल के स्काउट भवन में जुटे। रचनाकारों ने अपनी-अपनी कविताओं के जरिए पुराने और नए साल के प्रति अपनी संवेदनाओं को प्रकट किया।

गोष्ठी की शुरुआत में भारतीय लेखक मंच के सचिव, कलाधर ने पिछले वर्ष साहित्य जगत, खासकर पूर्णिया क्षेत्र के साहित्यिक उपलब्धियों एवम अधूरे रह गए कार्यों का एक संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। कवि-उपन्यासकार सुरेन्द्र स्निग्ध, साहित्य – संस्कृति कर्मी गौरीनाथ और फिल्म व रंगमंच को समर्पित कलाकार शशि कपूर समेत वैसे साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों को भी याद किया गया, जो अब हमारे बीच नहीं रहे।

कवि-गोष्ठी की शुरुआत मंजुला उपाध्याय के स्वरचित गीत के सुमधुर गायन से हुई। इसके बाद डॉ. शंभु कुशाग्र ने हाल में ही दिगंवत सुरेन्द्र स्निग्ध के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मृत्यु के उपर अंतत: जीवन के विजय पर अपनी कविता, “फिर शुरू होगी महायात्रा” सुनाकर पूरे माहौल को ही बदल दिया। “बिट्टू को है विश्वास/ तुम लौटोगे,/ताकि दिखा सके वह/अपने बचपन के छोटे से आंगन में/खिले फूल ही फूल।/ तुम लौटोगे जरूर/ झुर्रियों के क्षितिज से निहारती, दो चमकती आंखें लिए/ मेरे रुप में लौटोगे जरुर/ और दरवाजे से शुरू होगी महायात्रा/ एक बार फिर,/ शायद किसी बसंत आगमन के पूर्व/ … पट जाएगी फूलों की तरल मुस्कान से/ पूरी धरती एक बार फिर”।

इसके बाद मैथिली के कवि सुरेन्द्र नाथ मिश्र ने नारी सशक्तिकरण पर मैथिली में अपनी कविता सुनाई। सुरेन्द्र शोषण ने अपने चुटकीले अंदाज में अंगिका में कविताएं सुनाईं। उत्पल ने मां पर लिखी अपनी मर्मस्पर्शी कविता सुनाकर, तो वहीं दूसरी ओर राखी आनंद ने बुढ़ापे की पूर्व तैयारी पर तथा गोविंद कुमार ने जातिवाद-संप्रदायवाद पर अपनी धारदार कविता सुनाकर सबका मन मोह लिया। यमुना प्रसाद बसाक, निर्झर, कलाधर, महेश विद्रोही और कपिलदेव कल्याणी ने भी अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। वरिष्ठ कवि मदन मोहन मर्मज्ञ ने अपनी प्रभावशाली कविता सुनाई।

सभी कविताओं के पाठ के पश्चात प्रिंसिपल डॉ मुहम्म्द कमाल ने सभी कविताओं पर संक्षेप में अपनी समीक्षीय राय रखी।गोष्ठी की अध्यक्षता भारतीय लेखक मंच के अध्यक्ष- मदन मोहन मर्मज्ञ ने की तथा संचालन गोविंद कुमार ने किया।


शंभु कुशाग्र। बी एन मंडल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर। बीएन कॉलेज, पटना से उच्च शिक्षा। बिहार शरीफ के मूल निवासी। इन दिनों में पूर्णिया में निवास। कविता, साहित्य समीक्षा और रंगकर्म के सैद्धांतिक और व्याव्हारिक पक्ष पर समान दखल।

One thought on “काव्य फूलों की तरल मुस्कान से पट गई पूर्णिया की धरती

  1. Purnia ki dharati bahut urwara hai jimsme Shambhu ji jaise maha briksh KABYA aur KAHANI rupi fal aur chhaya se samaj no gaurwanyuit karte rahte hai, Aapki lekhi ko sadar pranam.

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