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रवि किशोर श्रीवास्तव
दिल्ली हो या मुंबई…सुबह 10 बजे से 12 बजे तक आपको चौक चौराहों पर लाइन नज़र आएगी। जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाने की तस्वीरें नज़र आएंगी। कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से कोई भी भूखा न सोए, इसके लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं। मगर देश में एक ऐसा शहर भी है। जहां गरीबों की कुटिया तक खाना और राशन पहुंचाया जा रहा है और इसकी कड़ी लॉकडाउन के इतने दिनों बाद भी टूटी नहीं है। ये मुमकिन हो रहा है समाज के कुछ ऐसे युवा चेहरों की वजह से जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की सेवा में जुटे हैं । ऐसे ही चेहरों में एक नाम है यूपी के बलरामपुर जिले में रहने वाले धीरेंद्र प्रताप सिंह ऊर्फ धीरू भाई । लखनऊ से 160 किमी दूर बलरामपुर जिले की सीमा में कदम रखते ही बस धीरू नाम ले लीजिए। आपको खुद ब खुद एहसास होगा कि नेक नियति का जज्बा हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता।
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वैसे तो अब तक धीरू भाई की पहचान साईं के भक्त के तौर पर रही है लिहाजा आप चाहे तो इसे साईं बाबा का आशीर्वाद ही कहे कि धीरू और उनकी टीम महीने भर से हर दिन गरीबों की कुटिया तक खाना पहुंचा रही है। यहां ये भी जानना दिलचस्प है कि ये मुमकिन कैसे हुआ, दरअसल ज़िले में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक और गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले लोग रहते हैं। इनके लिए शासन प्रशासन स्तर पर आर्थिक मदद और राशन पहुंचाने की योजना इनदिनों अमल में है, सरकारें जो कर रही हैं वो अपनी जगह, बतौर नागरिक अपना फर्ज अदा करने के लिए धीरेन्द्र अपनी टीम के साथ आगे आए।
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हर रोज़ करीब 500 से 700 लोगों के लिए लंच पैकेट, बिस्कुट पानी की बोतलों का इंतज़ाम कराया जा रहा है और वॉलिंटियर की मदद से जिले के कोने-कोने तक पहुंचाया जा रहा है। कहते हैं मन में सेवाभाव हो तो अन्नपूर्णा के आशीर्वाद की बरसात होती है। ठीक इसी तरह 25 अप्रैल से जो मुहिम शुरू हुई वो बदस्तूर आज तक जारी ह। सामूहिक भोजन तैयार करने वाली रसोई का चूल्हा ठंडा नहीं पड़ा और न ही धीरू और उनकी टीम का जज्बा कम हुआ । बिना रूके बिना थके वॉलिंटियर जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं । खाना देते हैं और जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाते हैं । कुछ तस्वीरें उसी का हिस्सा हैं । जब हमने धीरेन्द्र प्रताप सिंह से बात की तो उनका कहना था कि- ‘साईं बाबा की कृपा से अब तक जो हो सका वो हम कर रहे आगे जैसी बाबा की कृपा। लॉकडाउन में गरीबों के सामने रोजी रोटी का संकट है । ये हमारा फर्ज है कि उनकी मदद करें और समाज का बड़ा सहयोग मिल रहा’
शायद इसी मुहिम का असर है कि जब आपको दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में खाने और राशन के लिए लंबी लंबी लाइन नजर आती है। तो इस शहर में फिलहाल ऐसी समस्याएं व्यापक नहीं हैं। या यूं कहें हर दिन शाम को बाकायदा प्रशासन स्तर पर इसकी जानकारी भी भेजी जाती है।