पुष्यमित्र
दुनिया अच्छे लोगों से खाली नहीं हुई है। दिलचस्प बात यह है कि आप महानगर छोड़ कर बाहर निकलें आपको ऐसे लोग कदम-कदम पर मिल जाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति बसन्त शर्मा आज जहानाबाद में मिल गये। ये एक रोटी अभियान चलाते हैं। बसंत शर्मा रोज सुबह उठकर जहानाबाद की गलियों में चक्कर लगाते हैं और जो देना चाहें उनसे एक रोटी और थोड़ी सी सब्जी लेते हैं। फिर दोपहर तक जितना जमा होता है उसे जहानाबाद रेलवे स्टेशन और सदर अस्पताल परिसर में मौजूद गरीब बेसहारा लोगों में बाँट देते हैं। जिनको खाने पीने की तकलीफ होती है।
रोचक तथ्य यह है कि बसंत शर्मा की खुद की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। घर में तीन लड़के हैं। एक एक्सिडेंट के बाद दो साल से बिस्तर पर पड़ा है। दूसरा गूंगा है और गाड़ी चलाता है। तीसरा बीसीए करके बैठा है, आगे पढ़ाई के पैसे नहीं हैं।
खुद बसंत शर्मा एक पेट्रोल पम्प पर काम करते थे। मालिक ने उनके मेहनताने का 23 हजार रुपया दबा लिया तो नौकरी छोड़ दी। कुल मिलाकर स्थिति इतनी नाजुक हो गयी कि बेहतर होने की उम्मीद ही नहीं बची। वे कहते हैं, घर में बैठे बैठे मन उबियाने लगा तो सोचे यही काम कर लें। और 18 महीने पहले एक दिन साइकिल उठाई और शुरू हो गये।
कहते हैं, अपना भला न कर सके तो क्या, दूसरों की मदद तो कर रहे हैं। मैंने पूछा, बाँटने के बाद जो रोटियां बच जाती होंगी घर लेकर चले जाते होंगे। इससे कुछ मदद हो जाती होगी। इस सवाल पर जीभ दबाते हुए कहते हैं, न न हुजूर। यह हमारे हिस्से का नहीं है, जरूरतमंदों के हिस्से का है। इसको छूना भी हमारे लिए पाप है। कोई मेरे लिए थोड़े देता है। लोग उम्मीद से देते हैं कि जरूरतमन्द को मिलेगा। हमको इस काम से थोड़ा पुण्य मिल जाये, भगवान की निगाह सीधी हो जाये यही चाहिये। और कुछ नहीं।
पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।
कितनी ऊंची सोंच ‘ न न हुजूर ।ये मेरे हिस्से का नही है ,जरूरतमंदों के हिस्से का है।इसको छूना भी हमारे लिए पाप है।——–लोग उम्मीद से देते हैं कि जरूरतमंद को ही मिलेगा । ‘ऐसे उच्च विचार केवल जीवन के कठोर संघर्षों से ही पैद होता है ,जो संघर्ष वसंत शर्मा जी ने किया और कर रहे हैं । काश !ऐसा ही दूसरे लोग भी सोंचते और करते । पढ कर मन भावुक हो गया ।पुष्यमित्र जी की दृष्टि को दाद देता हूं।घटनाएं तो घटती ही रहती है , देखने वालों को दृष्टि चाहिए ।