जब इंदिरा भी अपनी सीट नहीं बचा पाईं तो दक्षिण भारत कांग्रेस के लिए संजीवनी बना

जब इंदिरा भी अपनी सीट नहीं बचा पाईं तो दक्षिण भारत कांग्रेस के लिए संजीवनी बना

टीम बदलाव

इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी को दक्षिण भारत से संजीवनी मिली… साल 1977 के लोकसभा चुनाव में हिंदी बेल्ट में कांग्रेस का करीब करीब सफाया हो चुका था… पांच राज्यों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी…इंदिरा और संजय गांधी भी चुनाव हार चुके थे…..मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कांग्रेस दम तोड़ चुकी थी…लेकिन दक्षिण भारत ने इंदिरा गांधी का साथ नही छोड़ा… पश्चिम के कुछ राज्यों ने भी इंदिरा पर भरोसा कायम रखा.. कांग्रेस पार्टी जैसे तैसे 150 सीटों का आँकड़ा जुटा पाने में कामयाब हो सकी…
चलिए अब आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं कि 1977 में 542 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को कहां से थोड़ी राहत मिली
इस मैप में आपको जो आसमानी रंग नजर आ रहा है उन राज्यों में कांग्रेस ने अपना परचम लहराया…तो वहीं ग्रीन रंग वालों राज्यों में लोकदल यानी जनता पार्टी का कब्जा रहा..

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सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में हुआ…जहां 42 सीटों में कांग्रेस का 41 सीट पर कब्जा रहा…वहीं कर्नाटक की 28 सीटों में कांग्रेस के खाते में 26 सीटें आईं…जबकि तमिलनाडु की 39 में से महज़ 13 सीट पर कांग्रेस विजयी हुई…वहीं केरल में 20 सीटों पर हुए चनाव में कांग्रेस के 11 उम्मीदवार विजयी रहे..
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वीओ- दक्षिण भारत के अलावा पूरब और पश्चिम में कुछ ऐसे राज्य रहे जहां काग्रेस ने संतोषजनक प्रदर्शन किया…
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असम की 13 सीटों में से कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली जबकि गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में कांग्रेस के 26 उम्मीदवार विजयी रहे…वहीं महाराष्ट्र में 48 सीटों में 20 सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा
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ये वो राज्य हैं जो इंदिरा के बुरे दिनों में कांग्रेस के साथ खड़े रहे… राजनीति के मोदी काल में बहुत कुछ बदल चुका है…. कांग्रेस में इंदिरा जैसे क़द्दावर नेता नहीं जो कमबैक की राजनीति गढ़ सके… लेकिन क्रिकेट की तरह राजनीति में कभी भी कोई भी भविष्यवाणी ग़लत साबित हो सकती है… देखते रहिए बदलाव पर रानजीतिक क़िस्सों की ये सीरीज़.