गांधी की बुनियादी शिक्षा और बदलाव की मुहिम

गांधी की बुनियादी शिक्षा और बदलाव की मुहिम

बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर

महात्मा गांधी ने 1910  में दक्षिण अफ्रीका में टाल्सटाय आश्रम में जिस तरह की शिक्षा की शुरुआत की थी ,वह उनका अभिनव प्रयोग था। न नई तालीम या बुनियादी तालीम की नींव वहीं पड़ी । ये बात गांधी जयंती पर मुजफ्फरपुर के पीयर गांव में बदलाव पाठशाला के संरक्षक ब्रह्मानंद ठाकुर ने कही। उन्होंने बताया कि- वे बच्चों में शुरू से ही  चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा के पक्षधर रहे गांधी। अक्षरज्ञान के साथ शारीरिक शिक्षा को वे काफी महत्व देते थे।

दक्षिण अफ्रीका  में शिक्षा सम्बंधी  प्रयोग  के बाद 23 अक्टूबर, 1937 में वर्धा  में गांधी ने नई तालीम की योजना बनाई। तब उनके शिक्षा सम्बंधी विचारों का कुछ शिक्षाशास्त्रियों ने जम कर विरोध किया था। इसके बाद 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में गांधी की इस नई तालीम या बुनियादी शिक्षा योजना को स्वीकार कर लिया गया। सिर्फ बिहार में 391 बुनियादी विद्यालय खोले गये। लोगों ने इसके लिए बड़े पैमाने पर  कृषि योग्य जमीन दान की। जहां अक्षरज्ञान के साथ-साथ कृषि, कताई, बुनाई, आदि की शिक्षा भी दी जाने लगी।  गांधी की बुनियादी शिक्षा की अवधारणा चरित्र निर्माण के साथ साथ स्वावलम्बन से जुड़ी हुई है। 

ब्रह्मानंद ठाकुर ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि आज पूरा देश महात्मा गांधी  की 150 वीं जयंती मना रहा है लेकिन  बुनियादी शिक्षा का उनका सपना चूरचूर हो गया है। इस अवसर पर सीनियर सिटीजन कौंसिल के जी प्रसाद दिवाकर, सेवानिवृत शिक्षक जयशंकर ठाकुर आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के शिक्षक चंदन कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के प्रधानाध्यापक दयाशंकर जी ने किया। अध्यक्षता श्यामनन्दन प्रसाद ठाकुर ने की। मौके पर विद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षिका उपस्थित थे।

राजकीय बुनियादी विद्यालय, पियर और बदलाव पाठशाला के संयुक्त तत्वावधान में गांधी जयंती के अवसर पर बुनियादी विद्यालय,  पियर में ‘ बच्चे, महिलाएं और गांधी की नई तालीम पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत  सर्वोदय हाई स्कूल के संगीत शिक्षक अरविन्द कुमार पोद्दार ने गांधी के प्रिय भजन  ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीड़ परायी जाने रे ‘ गा कर की। इसके बाद महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। बुनियादी विद्यालय, पियर के शिक्षक चंदन कुमार ने इस अवसर पर बापू की पाती का वाचन कराया। विद्यालय की छात्रा चांदनी,  अर्चना, निशा, निकिता, निशा, खुशबू , शिल्की ने बापू  से जुड़े कतिपय प्रेरक प्रसंग सुनाये। इन छात्राओं ने बापू पर केन्द्रित कविता का सस्वर पाठ भी किया।

 बंदरा प्रखंड के मध्य विद्यालय विष्णुपुर मेहसी में भी बच्चे, महिलाएं और गांधी की नई तालीम पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानाध्यापक मृत्युंजय कुमार ने की। पथ चर्चा में छात्र छात्राओं के अलावे स्थानीय अभिभावकों ने भी भाग लिया। खास बात ये कि गांधी जयंती पर विष्णपुर मेहसी में बदलाव पाठशाला का एक नया केंद्र आकार ले चुका है, जिसकी देखरेख का जिम्मा बदलाव पाठशाला के शिक्षक विंदेश्वर जी ने सं-भाला है ।