पूरा उत्तर भारी पिछले 15 दिनों से भीषण ठंड की चपेट में है । पहाड़ों पर हो रही भारी बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिला है । एक तरफ शहरी इलाकों में ठंड से लोग ठिठुर रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों में लोगों में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है । एक तरफ किसान ठंड से बेहाल हैं तो फसले भी बर्बाद हो रही हैं । इस बार मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों में ऐसा पाला पडा कि किसानों की किस्मत को ही पाला मार गया । अभी तक के अनुमान के मुताबिक केवल मुजफ्फरपुर जिले में ही पाले के प्रकोप से लगभग दो हजार एकड में लगी आलू ,मक्का, तम्बाकू और सब्जियों की फसल बर्बाद हुई है ।बीते शुक्रवार की रात ठंड ने पिछले 55वर्षों का रेकार्ड तोड दिया और रात का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया । शनिवार को किसान जब फसल देखने गये तो उनके होश उड गये ।ऐसा पहली बार हुआ है जब मक्के की फसल पाले की भेंट चढी हो । जिले के सकरा, मुरौल, बंदरा, मुशहरी बोचहा, गायघाट, मीनापुर कांटी, कुढनी समेत अन्य प्रखंडों में अचानक तापमान में आयी गिरावट से गेहूं को छोड़ आलू , मक्का, गोभी, टमाटर , मटर, शकरकंद जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ ।
किसान कुछ समय पहले धान की तैयार फसल पर कीट के आक्रमण से हुई क्षति से अभी उबर भी नही पाए थे कि पाले के कहर ने उनकी कमर तोड कर रख दी। किसानों का कहना है कि आलू की फसल पर पाले का प्रकोप कोई नयी बात नहीं है । किसान दबा का छिडकाव कर आलू की फसल को बचा लेते थे, लेकिन अचानक तापमान मे भयंकर गिरावट होने से दबा भी बेअसर हो गई । पाला से मक्के की फसल को पहली दफा नुकसान हुआ है । खेतों मे लगी मक्के की फसल झुलस कर पीली पड़ गयी है । जानकारों का कहना है कि सामान्यत: मक्के की फसल के लिए न्यूनतम 10से 15 डिग्री सेल्सियस तापमान सामान्य माना जाता है । इस बार तापमान अचानक घटकर 1.5 डिग्री सेल्सियस हो जाने से फसल को नुकसान हुआ है ।मौसम की बेरुखी ने उनकी उम्मीद पर भी पानी फेर दिया । अगर केवल हम बंदरा प्रखंड में मक्के की फसल की बर्बादी पर गौर करें तो यहां बंदरा के प्रमोद राय की 2.5एकड , मोहम्मद जाकिर की 10एकड, राजमंगल साह की एक एकड़ सहित रामपुर दयाल, पीरापुर, पियर, रतनमनियां, पटसारा, सिमरा आदि गांवों में पाले से मक्के की फसल बर्बाद हुई है । पूरा प्रशासन 21जनवरी को शराब बंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला बनाने की तैयारी में जुटा रहा लिहाजा किसानों को बर्बाद की ठीक-ठीक आकलन में अभी वक्त लगेगा । वैसे जिला स्तर के कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि विज्ञान केन्द्र सरैया के वैग्यानिकों का दल मुशहरी और बोचहा प्रखंडों के प्रभावित गांवों में जाकर नुकसान का जायजा ले चुके हैं ।
ब्रह्मानंद ठाकुर/ बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के रहने वाले । पेशे से शिक्षक फिलहाल मई 2012 में सेवानिवृत्व हो चुके हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने की ललक आज भी जागृत है । गांव में बदलाव पर गहरी पैठ रखते हैं और युवा पीढ़ी को गांव की विरासत से अवगत कराते रहते हैं ।