10 साल बाद मेरे शहर में सुप्रियो से मुलाकात

10 साल बाद मेरे शहर में सुप्रियो से मुलाकात

योग गुरु धीरज वशिष्ठ के फेसबुक वॉल से

अमूमन मैं मीडिया में गुजारे अपने दिनों के अनुभवों को यहां शेयर नहीं करता। चैनल में जितने लोग दिखते हैं, उससे कहीं बड़ी फौज इसको चलाने वालों की होती है। खबरों के ये फौजी कोई बुद्ध की शांति को लेकर चलते नहीं, वहां तो बस खबरों की काट-पीट होती रहती है। मीडिया से करीबन 4 साल का नाता रहा। इन सालों में तीन-चार चैनल्स और उसकी कार्यपद्धति और मीडिया को मुकुटधारियों से रुबरु होने का मौक़ा मिला साथ ही काम करने का अवसर मिला
मैं बतौर रनडाउन प्रोड्यूसर काम करता रहा, ये ऐसी जगह है मानो महाभारत में द्रोण का कोई चक्रव्यूह। एक ग़लती नहीं हुई कि मठाधीश से लेकर दूसरे महारथी ऐसे टूट पड़ते थे जैसे अभी आपको शूली पे लटकाकर ही दम लेंगे ।  इसी दौरान सुप्रियो (आज तक चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर) सर के साथ काम करने का मौक़ा मिला और चक्रव्यूह टूटता चला गया। सुकून के साथ काम करते हुए कैसे ख़बरों की बाजीगिरी की जाती है, ये उसके गुर सुप्रियो सर के सानिध्य में सीखने को मिला ।
यहां तक कि कभी एकाध ग़लती पर सम्मानीय एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर कुछ डांट पिला देते जिसे हम जैसे प्रोड्यूसर शंकर की तरह हलाहल समझकर हजम कर जाते और डकार तक नहीं लेते, फिर भी किसी सीनियर को फटकार लगाते हुए सुप्रियो सर की नज़र पड़ जाती तो उलटे उन्हें सुनना होता था। सुप्रियो सर सर हमारे सीनियर को ही बड़ी संजीदगी से समझाते और कहते कि “तुम गलती नहीं करते थे, पकड़ पकड़ के सिखाया था सबकुछ, आज बच्चों को डांटते फिरते हो। अरे, सीखेगा धीरे धीरे, शांति रखो।”
ये गुण ही शायद किसी को लीडर बनाता है। आजतक सबसे तेज़ के नाम से विख्यात है, हर साल बेस्ट न्यूज़ चैनल का अवॉर्ड ले कर जाता है, तो बस इसलिए कि उनके संचालक ऐसे व्यक्ति हैं जो न्यूज़ चैनल में बुद्ध की तरह शांत और पब्लिक लाइफ में विनम्र रहने में सहज हैं।  अहमदाबाद में पंचायत आजतक के कार्यक्रम में सुप्रियो सर से मुलकात हुई । आज जब चैनल की कार्यसंस्कृति से दूर-दूर का नाता नहीं है फिरभी सुप्रियो सर उसी सहजता से मिलते हैं और बातें करते हैं जैसे वो हमेशा रहें हैं।


योगगुरु धीरज वशिष्ठ

धीरज वशिष्ठ/ हरफनमौला स्वभाव, मूल रूप से बिहार के रहने वाले ।साल 2005 में IIMC से पत्रकारिता करने के बाद जनमत, लाइव इंडिया, न्यूज़ 24 समेत तमाम मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे । साल 2011 में वशिष्ट योग फाउंडेशन की स्थापना करने के बाद मीडिया को अलविदा कह दिया । इन दिन अहमदाबाद में योग के गुर सिखा रहे हैं । तिहाड़, बैऊर, साबरमती जैसे देश के कई जेलों में कैदियों, प्रशिक्षण पुलिस, कम्युनिटी, कॉरपोरेट, सरकारी दफ्तरों योग की ट्रेनिंग दे चुके हैं । अनाथालय, दिव्यांगगों और बच्चों समेत समाजे के कई तबकों तक योग का संदेश पहुंचा रहें हैं।