पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से
आज बहन अनिता कुमारी ने दिल्ली की छठ के बारे में बड़ी दिलचस्प जानकारी दी। उसने कहा कि पिछले कुछ साल से बिहार से कुछ लोग छठ पर्व मनाने के लिये दिल्ली जाने लगे हैं। उसके मुहल्ले में कुछ परिवार सिर्फ छठ मनाने के लिये बिहार से दिल्ली पहुंचे हैं। यह हैरत में डालने वाली जानकारी थी, क्योंकि मुझे लगता था दिल्ली और दूसरे इलाकों से लोग छठ मनाने बिहार यानी अपने पैतृक इलाकों में आते हैं।
उसने बताया कि उसके मोहल्ले में तीन परिवार बिहार से दिल्ली आये हैं। हालाँकि ये इसलिये आये हैं, क्योंकि उनके बेटों को छठ पर गांव जाने की छुट्टी नहीं थी। उनलोगों ने अपने माता-पिता को यह कह कर बुलवा लिया कि यहीं छठ कर लें। यहां भी अब पर्व के लिहाज से हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। यह सच है कि छठ के सन्दर्भ में सुविधा, सामग्री और माहौल के लिहाज से दिल्ली और बिहार में अब कोई खास फर्क नहीं रहा। और छठ के दौरान दिल्ली से बिहार जाना काफी मुश्किल होता है, जबकि बिहार से दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में आसानी से जगह मिल जाती है। इसी वजह से कुछ लोग मजबूरी में उल्टा रास्ता ही अपना रहे हैं। हालाँकि यह बिल्कुल नया ट्रेंड है। मगर क्या पता कल को यह ट्रेंड कुछ ज्यादा ही चल निकले।
पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।
क्योंकि ये छठ जरुरी है..
ज्योति मिश्रा के फेसबुक वॉल से
ये छठ जरुरी है
धर्म के लिए नहीं, समाज के लिए नहीं
जरुरी है हम आप के लिए, जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं
उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं
उस परिवार के लिये जो टुकड़ों में बंट गया है
ये छठ जरुरी है उस नई पौध के लिए, जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर होता है
उनके लिए, जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है
ये छठ जरुरी है, उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करती है
जो बताती है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं, डूबते सूरज को भी सलाम करती है
ये छठ जरुरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए
ये बताने के लिए इस समाज में उनका भी महत्व है
ये छठ जरुरी है, बेहद जरुरी
ज्योति मिश्रा। पटना वूमन्स कॉलेज से मॉस कम्यूनिकेशन की पढ़ाई। दूरदर्शन, मौर्य टीवी और इंडिया न्यूज में पत्रकारिता का व्याव्हारिक अनुभव बटोरा। संप्रति पटना में प्रवास।