पुष्यमित्र हिंदी पत्रकारिता में आज भी एक स्वतंत्र पत्रकार का सर्वाइवल मुश्किल है। विभिन्न अखबारों में फीचर और आलेख लिखने वाले
Category: सुन हो सरकार
सिर्फ धारणाओं से देश नहीं चलता साहब !
राकेश कायस्थ क्या डर सिर्फ एक धारणा है? ठीक उसी तरह जिस तरह विकास एक धारणा है। धारणा यानी इंप्रेशन
पीएम साहब! जानबूझकर शल्य को सारथी मत बनाइए न
सुदीप्ति महाभारत मेरी रुचि का विषय है इसलिए जब एक भाषण में माननीय प्रधानमंत्री ने ‘शल्य’ का नाम लिया और
रेलवे की ‘सुस्त’ रफ्तार और ‘बुलेट’ का हसीन सपना
पुष्यमित्र पिछले दिनों बिहार में बाढ़ से भारी बर्बादी हुई, सड़क से लेकर रेल मार्ग तक बुरी तरह प्रभावित रहा
मैं और मेरा ये लाल माइक
रवीश कुमार ज़िंदगी का अच्छा ख़ासा हिस्स कैमरे के सामने और साथ गुज़रा है। अनगिनत लोगों के साथ मेरी तस्वीर
…तो न समाज बिखरता और न देश रोता !
आशीष सागर के फेसबुक वॉल से आदमी गर बड़ा न होता, हिंसा के मुहल्ले में खड़ा न होता ! माना
धन्यवाद श्रीकांत शर्मा जी ! आपसे शिकायत करना नहीं चाहता था लेकिन…
कोई भी सरकार हो उसकी कोशिश होती है कि जनता के बीच उसके एक्शन का असर दिखे । उसकी योजनाओं
जो गधे पर नहीं बैठा, वह जन्म्या ही नहीं!
वर्षा मिर्जा इन दिनों गधों की हज़ार सालों की सहनशीलता दाव पर है। सब उन्हीं पर जुमले बोल रहे हैं।
वैशाखनंदन लिखो या शारदानंदन गालियां तो पड़ेंगी ही
राकेश कायस्थ सोशल मीडिया पर हंगामा ना हो फिर काहे का सोशल मीडिया। अगर शांति चाहते हैं तो कुछ समय
सरकार, रोजी-रोटी का जरिया बने हिंदी
ब्रह्मानंद ठाकुर आज हिन्दी दिवस है। राजभाषा हिन्दी के विकास के बड़े-बड़े दावे और वादे किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके