दयाशंकर मिश्र आज में आते ही कल बासी हो जाता है. एक और दूसरा कल, जिसकी अभी छाया भी नहीं
Category: मेरा गांव, मेरा देश
प्रेस क्लब के नए अध्यक्ष खांटी पत्रकार उमाकांत लखेरा
राजेश बादल अरसे बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया को एक खांटी पेशेवर पत्रकार अध्यक्ष के रूप में मिला है ।
जीवन में नैतिकता के मोल को पहचानिए
दयाशंकर मिश्र सबसे महत्व की चीज़ों को हम अक्सर आसानी से भुला देते हैं. ऐसे ही जीवन के दो तत्व
मौन
मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा होते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा रह पाते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या
मन की ‘पोटली’ खोलिए…जीवन की ‘उड़ान’ भरिए
दयाशंकर मिश्र जैसे घर में बेकार कपड़े, सामान पोटलियां बनाकर हम बंद कोनों में डाल देते हैं. उसी तरह मन
‘मन-दीपक’ जलाइए, निराशा का अंधकार मिटाइए
दयाशंकर मिश्र हम ऐसी दुनिया का हिस्सा बनते जा रहे हैं, जिसमें डर को ज़रूरत से ज्यादा महत्व दिया जा
जीवन में ‘प्रेम’ को किसी ‘प्रमाण पत्र’ की दरकार नहीं
दयाशंकर मिश्र पगडंडियों से तो बहुत से रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन सीमेंट की रोड से यह सुविधा नहीं होती.
जिंदगी की ‘बांग’ मुर्गों की मोहताज नहीं
दयाशंकर मिश्र हम सब इसी गलतफहमी में उम्र गुजार देते हैं कि मेरे बिना तुम्हारे सुख का सूरज कैसे उगेगा!
बाल मन को पानी की तरह तरल रहने दें
दयाशंकर मिश्र दूसरों से भागना-बचना फिर भी सरल है, लेकिन जब हम अपनी दृष्टि से भागना शुरू कर देते हैं,
जिंदगी में अहंकार की बर्फ ना जमने दें
दयाशंकर मिश्र जो पीछे छूट गए हैं, जरूरी नहीं उनमें कोई कमी है. जीवन बहुत-सी चीज़ों का मिश्रण है, इसलिए,