पशुपति शर्मा तमिलनाडु के किसानों का धरना प्रदर्शन पिछले 40 दिनों से जंतर-मंतर पर चल रहा है। कभी वो अर्धनग्न
Category: मेरा गांव, मेरा देश
बहिनी, गंगाजी के किनारे कईसन लगेला?
पुष्पांजलि शर्मा शहरों में सियासत के स्वर भले ही इस दंभ में चूर हों कि हमारा गांव बदल रहा है,
कश्मीर- किसके लिए कर्फ़्यू, तलाशियां, कष्ट और बलिदान
धीरेंद्र पुंडीर वो जवान किसके लिए वहां है। वो किस देश के वासी थे जो बहु-बेटियों की इज्जत और अपनी
गांधीवाद ही है आखिरी विकल्प- सच्चिदानंद सिन्हा
ब्रह्मानंद ठाकुर पूरी दुनिया आज बाजार बन गयी है। पूंजीवाद ने पूरी दुनिया को बारूद की ढेर पर लाकर खड़ा
छत्तीसगढ़ – सरकारी मयखाने तो खुलेंगे, पर मत पीना दो जाम
शिरीष खरे बिहार में शराबबंदी के बाद देश के दूसरे राज्यों में शराबबंदी की मांग जोर पकड़ती जा रही है
ढूंढिए… आपके आस-पास ही हैं ‘कबीर के लोग’
पुष्य मित्र बोरिंग कैनाल रोड पर अक्सर एक गाड़ी दिखती थी, जिसके पीछे लिखा होता था- कबीर के लोग। मैं
एक ऑटो ड्राइवर की ईमानदारी को सलाम
पशुपति शर्मा अगर आपका बैग किसी ऑटो में छूट जाए और आपकी जेब में आगे के किराये के लिए पैसा
महिला उत्पीड़न के ख़िलाफ़ फाइटिंग सेंटर बने ‘शीरोज़’
रश्मि गुप्ता रूपाली की कैब आने में देरी हो रही थी और मैं भी अपनी कार का इन्तजार कर रही
थोड़ी सी जगह लिबरल डेमोक्रेट को भी दे दीजिए
राकेश कायस्थ राजनीतिक शब्दावली में जिसे लिबरल डेमोक्रेट कहते हैं, मैं उसी तरह का आदमी हूं। वामपंथियों और दक्षिणपंथियों के
चंपारण के 100 साल, आज तो कर लो गांधी को याद
ब्रह्मानंद ठाकुर मौसम भी है और मौका भी। इसमें जो चूक गया, वह पछताएगा। भले ही गांधी की हत्या किसी