राकेश कायस्थ गुजरात में भड़की हिंसा और यूपी-बिहार के मजदूरों के पलायन के पीछे की असली वजह क्या है? सरसरी
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तारीख दर तारीख वो मांग रहा था अपने हिस्से की धूप-छांव तारीख दर तारीख वो मांग रहा था अपने हिस्से का
पहले हम पापा के साथ रहते थे, अब पापा हमारे साथ रहते हैं…
दयाशंकर आपके परिवार में कौन-कौन है. मैं पत्नी और दो बच्चे. अब परिवार का यह सामान्य परिचय हो गया है.
मधेपुरा में विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर बच्चों ने भावुक कर दिया
बदलाव प्रतिनिधि बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन की साझा पहल को मधेपुरा के वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षा के क्षेत्र में
कल और आज – कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें’
महानगरीय जीवन में परिवार सिकुड़ता जा रहा है और रिश्तों में दूरिया बढ़ती जा रही हैं। आलम ये है कि
विज्ञापन का चाबुक और पत्रकारों का संकट
पुष्यमित्र अमूमन ऐसे मौके कम ही आते हैं, जब पत्रकारों के संकट के बारे में बातें होती हैं। हालांकि पत्रकारिता
मजदूरी को मजबूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार
पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार पूर्णिया शहर के मधुबनी बाजार की ये तस्वीर वैसी ही है जैसी किसी भी
मौसम का बदलता मिजाज और सियासत का चढ़ता पारा
संजय पकंज मौसम बदल रहा है। वातावरण में सर्दी उतरने के लिए उसाँसें भर रही है । बहुत धीमी चाल
आस्था के नाम पर मूर्ख बनाने का घनघोर विश्वास गजब का है
राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार मेरे गृह राज्य झारखंड में एक मशहूर शिव तीर्थ है। बैजनाथ धाम। जिस
गौरक्षकों को स्वामी विवेकानंद का संदेश
ब्रह्मानंद ठाकुर 11 सितम्बर 1893। इसी दिन स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो शहर में विश्व हिंदू धर्म महा सम्मेलन में व्याख्यान