तारीख़

तारीख़

तारीख दर तारीख
वो मांग रहा था
अपने हिस्से की धूप-छांव

तारीख दर तारीख 
वो मांग रहा था अपने हिस्से का दाना-पानी

तारीख दर तारीख
वो मांग रहा था अपने हिस्से का सम्मान

तारीख दर तारीख
वो मांग रहा था अपने कुनबे का इंसाफ़

हर बार अदालत में बज đरहा था हथौड़ा 

हर हथौड़े के साथ 
धूप-छांव, दाना-पानी
सम्मान और इंसाफ़ की आवाज़
घुट कर बदल गई सन्नाटे में

सुनाई दे रहा था तो बस
इंसाफ़ की टेबल पर बजता हथौड़ा
और उस हथौड़े के साथ
गूंजती एक और तारीख।                                                   पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार


india tv 2पशुपति शर्मा ।बिहार के पूर्णिया जिले के निवासी। नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से संचार की पढ़ाई। जेएनयू दिल्ली से हिंदी में एमए और एमफिल। डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। उनसे 8826972867 पर संपर्क किया जा सकता है।