टीम बदलाव
पुस्तकों के बीच बच्चे और अभिभावक। पके हुए आमों को देखकर जो सुख होता है, उससे कहीं ज्यादा सुख मंजरों से लदे पेड़ों को देखकर होता है। उम्मीद की कोंपलें ऐसी ही डालियों पर लगा करती हैं। कुछ ऐसा ही मंजर मुजफ्फरपुर के पियर गांव में भी नज़र आया, जब बच्चों ने पुस्तकों से दोस्ती गांठने का संकल्प लिया।
गोष्ठी का प्रारम्भ आगंतुकों को अपने परिचय देने के साथ बच्चों ने किया। बदलाव पाठशाला के मुजफ्फरपुर जिला संयोजक ब्रह्मानन्द ठाकुर ने बच्चो को पुस्तकों का महत्व बताते हुए कहा कि पुस्तकें हमारी सच्चे दोस्त हैं। इनसे हमें अपने जीवन को संवारने मे बड़ी मदद मिलती है। पुस्तकें हमारा केवल मनोरंजन ही नहीं करतीं, हमें ज्ञान भी देती हैं। बच्चे यदि बचपन में ही पुस्तक पढने की आदत बना लें तो वे इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
बालपुस्तकालय में साहित्य ,कला ज्ञान – विज्ञान ,कविता कहानी और नाटक की बालोपयोगी पुस्तकों की उपलब्धता की चर्चा करते हुए उन्होंने गोष्ठी में शामिल अभिभावकों को जानकारी दी कि इस साल 26 जनवरी को बाल पुस्तकालय की स्थापना की गई। शिक्षा प्रेमियों ,लेखकों ,कवियों द्वारा पुस्तकें नि:शुल्क उपलब्ध कराई गयी। इसके बाद यूएसए मे कार्रयरत भारतीय मूल के युवा इंजीनियर प्रेम पियूष नेअमेजन से कुछ किताबें भेजीं। प्रेम पियुष के आग्रह पर पुस्तकालय में एक नया सेक्शन शुरू किया गया-रेणुका बाला घोष ( मीनू ) पुस्तकालय। आज इस पुस्तकालय मे बालोपयोगी पुस्तकों की संख्या 250 से ऊपर हो चुकी है।
इस गोष्ठी के दौरान बच्चे काफी उत्साहित थे। बदलाव पाठशाला की शुरुआत महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2017 को अपेक्षित किंतु उपेक्षित 8 बच्चों के साथ की गई थी। आज बच्चों की संख्या 16 हो गई है। मुजफ्फरपुर के युवा समाजसेवी किसलय कुमार ने पाठशाला के बच्चों को यूनिफार्म के लिए 5 हजार रूपये की राशि उपलब्ध कराई। इसमें अतिरिक्त राशि की व्यवस्था संयोजक द्वारा की गयी। बच्चे आज उसी यूनीफार्म थे। बच्चों में आ रहे सकारात्मक बदलाव को देखकर उपस्थित लोगोंl ने टीम बदलाव के इस प्रयास की काफी सराहना की।
आदर्श गांव पर आपकी रपट
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