किस्सागोई का आनंद और ‘बात का बतंगड़’ करते बच्चे

किस्सागोई का आनंद और ‘बात का बतंगड़’ करते बच्चे

बदलाव प्रतिनिधि

मुजफ्फरपुर के पियर गांव मे आयोजित बदलाव बाल क्लब की कार्यशाला  का दूसरा दिन पूरी तरह बच्चों के नाम रहा। बच्चों ने पूरी कार्यशाला को मानो ‘हाईजैक’ कर लिया। बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। दूसरे दिन कार्यशाला का संचालन विष्णुपुर मेहसी स्कूल के शिक्षक दीपक कुमार साह और बिन्देश्वर राय ने संयुक्त रूप से किया। बच्चे इतने उत्साहित थे कि पहले कार्यशाला में उनको कहानियां लिखने के लिए जिन शब्दों का खाका दिया गया था,  उस आधार पर लिखी अपनी अपनी कहानियां पढीं। चुटकुले सुने और सुनाए। फिर शुरू हुआ उनकी लिखी कहानियों का पाठ।

रितुराज ने हरेकृष्ण देवताले की कहानी ‘बात का बतंगड़ ‘ का पाठ कर सभी को हंसने को मजबूर कर दिया। स्वाति ने मोहनलाल महतो वियोगी की कहानी ‘लुहार और तलवार ‘का पाठ किया। पुष्पांजलि ने ‘घास की रोटी’ कहानी पढी। कार्यशाला में कलम के जादूगर रामबृक्ष बेनीपुरी की एक लम्बी बालकथा ‘म्याऊं ‘ का आज चयन कर उसे तीन किस्तों मे पाठ करने का कार्यक्रम था। इसका  पाठ हाव-भाव के साथ संचालक दीपक कुमार ने किया। इस कहानी को आज वहां पर  बच्चों में एक सस्पेंस पैदा कर छोड़ा गया,  जहां बिल्ली अपने नये स्वामी को आश्वासन देती है कि वह उसे राजा बना कर छोड़ेगी।

कार्यशाला के तीसरे दिन भोजपुरी के प्रतिष्ठित कवि, कहानीकार और  बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय के रामबृक्ष बेनीपुरी महिला कालेज के प्राध्यापक डाक्टर कुमार विरल ने कार्यशाला में शामिल होने की अपनी सहमति दी है। तीसरे दिन का संचालन डाक्टर विरल करेंगे। इसके लिए आम के बागान को झाड़-बुहार कर तैयार कर लिया गया है। स्थानीय समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया मे  गांव में पहली बार ऐसी कार्यशाला के आयोजन के लिए संस्था बदलाव की सर्वत्र सराहना होने लगी है।

इधर, दिल्ली के मयूर विहार फेज-3 में बदलाव बाल क्लब की पाठशाला के तीसरे दिन बच्चों की उत्सुकता देखते ही बन रही थी। पहले दिन दो बच्चों से शुरू हुई बदलाव बाल क्लब की क्लास में तीसरे दिन सक्षम और राघव के अलावा जिन बच्चों ने शिरकत की उसमें वंशिका, संकल्प,  ह्रद्यांश, यश शामिल रहे। इसके अलावा ढाई साल के कान्हा भी क्लास की आखिर में पहुंचे। बाल क्लब में तीसरे दिन की क्लास सुजीत कुमार मिश्रा ने ली। सुजीत कुमार ने बच्चों को ‘हंस’ और ‘गोल्डन पक्षी’ की कहानी सुनाई जिसके आखिर में बच्चों ने मोरल ऑफ स्टोरी खुद बताया। दूसरे दिन की क्लास में बच्चों को देश और उसकी राजधानी याद करने का जो टास्क दिया गया था बच्चों ने उसे बखूबी पूरा किया। इसी तरह हर दिन बच्चों के एक राज्य और उसकी राजधानी का नाम याद कराया जा रहा है, जिससे कहानी के साथ साथ बच्चे अपने देश और राज्य से भी परिचित हों । बच्चों को आखिर में डॉक्टर राम कठिन सिंह की लिखी पंक्तियां सोचो तुम्हीं बताओ नानी का कविता पाठ कराया गया।

गाजियाबाद के वैशाली में भी कार्यशाला का संचालन सतत जारी है। रविवार को जहां बच्चों ने वसुंधरा सेक्टर -4 के खुले पार्क में खेल-कूद के साथ कहानी पाठ किया तो वहीं सोमवार को कहानियों के पाठ के साथ उनके मंचन की दिशा में भी काम शुरू हो गया। गिजुभाई की बालकथाएं की कहानी ‘तीन लोक का टीपना’ और ‘बावला-बावली’ पर बच्चों ने एक्टिंग की। इसके साथ ही संस्कार शिक्षा सीरीज से कहानी भक्त प्रह्लाद का बच्चों ने पाठ किया।