ब्रह्मानंद ठाकुर बदलाव पाठशाला के प्रथम सालगिरह और विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर 2 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के
Author: badalav
पुलिस और आम जनता का ऐसा मिलन हो तो क्या कहना?
अखिलेश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार 30 सितंबर को सोनथा (कोचाधमन), किशनगंज में नवोदय अलुम्नी असोशिएसन बिहार, (किशनगंज चैप्टर)
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर गाजियाबाद में स्नेहन भरी एक शाम
टीम बदलाव बुजुर्गों के अकेलेपन की त्रासदी कितनी गंभीर होती जा रही है? एक उम्र के बाद क्यों समाज अपने
दिल्ली से बिहार तक आज बुजुर्गों के मन की बात
महानगरीय जीवन में सिकुड़ते परिवार और रिश्तों में बढ़ती दूरियों के बीच बुजुर्गों के महत्व को रेखांकित करने की कोशिश
पुरखों को याद करें, लेकिन बुजुर्गों की इज्जत करना ना भूलें
ब्रह्मानंद ठाकुर घोंचू भाई आज साइकिल से बाजार गये हुए थे। लौटने में देर हो रही थी। हम मनोकचोटन भाई
30 सितंबर को आइए और समझिए हमने अपने बुजुर्गों को कैसी ज़िंदगी दी
टीम बदलाव विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की पूर्व संध्या पर बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन की ओर से ‘कल और
‘दादी’ के दर्शन और दादी से बिछड़ने का डर
नीलू अग्रवाल उस लड़की ने हाथ पकड़ रखे हैं अपनी दादी के और मजबूती से पकड़ रखे हैं । मजबूती
बादशाह खान के प्रति
– अरुण कमल बुढ़ापे का मतलब है सुबह शाम खुली हवा में टहलना बूलना बुढ़ापे का मतलब ताजा सिंकी रोटियाँ
कल और आज – कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें’
महानगरीय जीवन में परिवार सिकुड़ता जा रहा है और रिश्तों में दूरिया बढ़ती जा रही हैं। आलम ये है कि
विज्ञापन का चाबुक और पत्रकारों का संकट
पुष्यमित्र अमूमन ऐसे मौके कम ही आते हैं, जब पत्रकारों के संकट के बारे में बातें होती हैं। हालांकि पत्रकारिता