फिल्मी जगत को दोस्ती के लिए छोड़कर करीब सालभर पहले मीडिया में वापसी करने वाले विनोद कापड़ी एक बार फिर
Author: badalav
गोडसे के ‘गुरु’ और उनके ‘राष्ट्र विभाजनकारी’ सिद्धांत को समझिए
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार ये वोट की बात नहीं, ये तथ्य की बात है! कुछ लोग
‘अकाल’ की दहलीज पर खड़ा बिहार
पुष्यमित्र इन दिनों लगभग पूरा बिहार भीषण किस्म के जलसंकट का सामना कर रहा है। दक्षिण बिहार की स्थिति तो
जून माह के अतिथि संपादक वीरेन नंदा
जाने माने साहित्यकार , कवि और लेखक डाक्टर वीरेन नंदा बदलाव के इस साल जून महीने के अतिथि सम्पादक। बाबू
सूरत अग्निकांड के बाद भी क्या हम कुछ नहीं सीखेंगे ?
राकेश कायस्थ सूरत अग्निकांड की तस्वीरें स्तब्ध कर देने वाली हैं। सुंदर भविष्य का सपना देख रहे 21 नौजवान जलकर
राजनीति के डगर पर हर कदम मुश्किल इम्तिहान होते हैं
राकेश कायस्थ खबर है कि राहुल गांधी इस्तीफा देना चाहते हैं। मुझे समझ में नहीं आया कि किसे देना चाहते
क्यों विपक्ष और जनपक्ष हो जाना ही निष्पक्ष पत्रकारिता है?
पुष्यमित्रजब मैं लिखता हूं कि पत्रकार का काम शास्वत विपक्ष हो जाना है तो कई मित्र को आपत्ति होती है।
हम पत्रकार तो शास्वत विपक्ष हैं
पुष्यमित्र के फेसबुक से साभार 1961 में जब ब्रिटेन की रानी भारत आई थी और नेहरू उसके स्वागत में बिछे
एग्ज़िट पोल और उसके मायने समझिए
राकेश कायस्थ 1. यह बहुत साफ था कि 2019 की लड़ाई अंकगणित बनाम केमेस्ट्री होगी। मतलब यह कि जितने भी
गांधीजी के हत्यारे को देशभक्त बताने के पीछे की सोच को समझिए
उर्मिलेश उसने अपनी विचारधारा के अनुसार अपने ‘मन की बात’ ही तो कहीं है! उसके अनेक सियासी पूर्वज भी यही