वीरेन नंदा किसानों का हाल जानने के लिए मैं बिहार से दिल्ली तो आ गया, लेकिन दिल्ली की गलियों से
Author: badalav
पूर्णिया में मीडिया कार्यशाला की ‘सोपान कथा’
पुष्य मित्र जब से मैने पूर्णिया के मीडिया कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप शामिल होने के लिये सोपान भाई से
बंसी कौल की स्मृति में रंग-दस्तक
राकेश मालवीय स्मृतियां जब दस्तक देती हैं तो आपको हंसाती हैं, रुलाती हैं, गुदगुदाती हैं, कुछ जोड़ती हैं, कुछ घटाती
एक कप प्याली की ऊष्मा और मिठास से भरे सोलंकी सर
पशुपति शर्मा चन्द्रभान सिंह सोलंकी। मीडिया के उन कुछ चुनिंदा लोगों में हैं, जिनसे मैं हमेशा कुछ सीखता रहा हूँ।
अपने गुरु से नाता जोड़, कहां गए मेरे गुरु हमको छोड़
पशुपति शर्माबंसी दा ने अपने गुरु नेमिचंद्र जैन की स्मृति में एक नाटक का ताना-बाना बुना- ‘साक्षात्कार अधूरा है’। नाटक
इलाहाबाद में रंग प्रेमियों ने मनाया बंसी दा की स्मृतियों का उत्सव
‘निर्देशक नाटक में रहते हुए भी मंच पर अनुपस्थित रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।आज बंसी कौल भले ही शारीरिक
सागर में आकाश चौरसिया की मल्टी लेयर फार्मिंग की कार्यशाला
अगर आप मल्टी लेयर फार्मिंग करना चाहते हैं तो आपके लिए आकाश का दरवाजा खुला है । मध्य प्रदेश के
एक भाव का प्रेम होता है और एक अभाव का
पुष्य मित्रअभाव का प्रेम भूखा होता है और स्वार्थी भी। वह सिर्फ प्रेम चाहता है, किसी भी कीमत पर। वह
बंसी कौल के लिए थिएटर ही रहा पहला और आखिरी परिवार
अंजना पुरी एक रिश्ते के अड़तीस बरस बीत गए और आज पहली बार यह समझ में आ रहा है कि
बंसी कौल को कहाँ ढूंढे रे बंदे?
सच्चिदानंद जोशीसब कुछ वैसा ही था जैसा होता है किसी नाटक के अंत में। सारे कलाकार अपने काम खत्म कर