मौन

मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा होते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा रह पाते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या

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जीवन में ‘प्रेम’ को किसी ‘प्रमाण पत्र’ की दरकार नहीं

दयाशंकर मिश्र पगडंडियों से तो बहुत से रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन सीमेंट की रोड से यह सुविधा नहीं होती.

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हां और ना के विकल्प के बीच जिंदगी की ‘संकल्प- धारा’

दयाशंकर मिश्र बहुत सी चीजें हैं, जिनका ‘हां और न’ में कोई जवाब नहीं. जहां जीवन का प्रश्न है, वहां

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