मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा होते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या ज़िंदा रह पाते हम?मौनशुक्रिया तुम्हारातुम न होते तोक्या
Author: badalav
मन की ‘पोटली’ खोलिए…जीवन की ‘उड़ान’ भरिए
दयाशंकर मिश्र जैसे घर में बेकार कपड़े, सामान पोटलियां बनाकर हम बंद कोनों में डाल देते हैं. उसी तरह मन
‘मन-दीपक’ जलाइए, निराशा का अंधकार मिटाइए
दयाशंकर मिश्र हम ऐसी दुनिया का हिस्सा बनते जा रहे हैं, जिसमें डर को ज़रूरत से ज्यादा महत्व दिया जा
जीवन में ‘प्रेम’ को किसी ‘प्रमाण पत्र’ की दरकार नहीं
दयाशंकर मिश्र पगडंडियों से तो बहुत से रास्ते खुल सकते हैं, लेकिन सीमेंट की रोड से यह सुविधा नहीं होती.
जिंदगी की ‘बांग’ मुर्गों की मोहताज नहीं
दयाशंकर मिश्र हम सब इसी गलतफहमी में उम्र गुजार देते हैं कि मेरे बिना तुम्हारे सुख का सूरज कैसे उगेगा!
बाल मन को पानी की तरह तरल रहने दें
दयाशंकर मिश्र दूसरों से भागना-बचना फिर भी सरल है, लेकिन जब हम अपनी दृष्टि से भागना शुरू कर देते हैं,
जिंदगी में अहंकार की बर्फ ना जमने दें
दयाशंकर मिश्र जो पीछे छूट गए हैं, जरूरी नहीं उनमें कोई कमी है. जीवन बहुत-सी चीज़ों का मिश्रण है, इसलिए,
हां और ना के विकल्प के बीच जिंदगी की ‘संकल्प- धारा’
दयाशंकर मिश्र बहुत सी चीजें हैं, जिनका ‘हां और न’ में कोई जवाब नहीं. जहां जीवन का प्रश्न है, वहां
आज में खुश रहने की कला सीख लीजिए..इसी में जीवन का आनंद है
दयाशंकर मिश्र हम भूल रहे हैं कि जब भी कल आएगा, वह आज हो जाएगा! हमारी सोच कल की है.
मानव हैं तो मशीन वाली सोच क्यों रखते हैं ?
दयाशंकर मिश्र कभी राह चलते अपनी ही गलती से हम गिर पड़ते हैं. कभी खुद से गाड़ी को टक्कर लगा