दयाशंकर मिश्र दूसरों से भागना-बचना फिर भी सरल है, लेकिन जब हम अपनी दृष्टि से भागना शुरू कर देते हैं,
Author: badalav
जिंदगी में अहंकार की बर्फ ना जमने दें
दयाशंकर मिश्र जो पीछे छूट गए हैं, जरूरी नहीं उनमें कोई कमी है. जीवन बहुत-सी चीज़ों का मिश्रण है, इसलिए,
हां और ना के विकल्प के बीच जिंदगी की ‘संकल्प- धारा’
दयाशंकर मिश्र बहुत सी चीजें हैं, जिनका ‘हां और न’ में कोई जवाब नहीं. जहां जीवन का प्रश्न है, वहां
आज में खुश रहने की कला सीख लीजिए..इसी में जीवन का आनंद है
दयाशंकर मिश्र हम भूल रहे हैं कि जब भी कल आएगा, वह आज हो जाएगा! हमारी सोच कल की है.
मानव हैं तो मशीन वाली सोच क्यों रखते हैं ?
दयाशंकर मिश्र कभी राह चलते अपनी ही गलती से हम गिर पड़ते हैं. कभी खुद से गाड़ी को टक्कर लगा
क्षमा के लिए ‘विषधर भुजंग’ नहीं ‘विषमुक्त संकल्प’ चाहिए
दयाशंकर मिश्र मन में क्षमा कभी गहरे नहीं उतरती, क्योंकि हम छोटे-बड़े में उलझे हैं। मन कमजोर, शक्तिशाली के चयन
आपना मन पहिचान के… चलो जोगीरा बदलन गांव
दयाशंकर मिश्र छोटे-छोटे प्रश्नों पर हम इतने अधिक चिंतित होते जा रहे हैं कि जीवन में चिंता की कड़वाहट दोगुनी
मनुष्य सज़ा से नहीं प्रेम से बदलते हैं…. और हमारी दुनिया भी!
हमारे प्रेम से रिश्ते इतने जर्जर हो गए हैं कि थोड़ा-सा धक्का लगते ही टूट जाते हैं. बदलने के लिए
शहादत दिवस पर आजादी के नायकों को नमन
ब्रह्मानंद ठाकुर क्रांति का मतलब है अन्याय और शोषण पर टिकी शासन व्यवस्था की जगह किसान-मजदूरों का राज स्थापित करना।23
दिल की गांठें खोल रे मनवा
दयाशंकर मिश्र हर कोई खुद पर मोहित है, मानो सारा संसार उसके लिए धूल है। वह तब तक ऐसा करता